पदोन्नति में आरक्षण के मामले पर राज्य सरकार की नजरें केंद्र के रूख पर टिकी

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देहरादून। पदोन्नति में आरक्षण के मसले को लेकर कर्मचारियों के तल्ख तेवरों के बावजूद राज्य सरकार फूक-फूककर ही कोई कदम उठाएगी। अब तक की तस्वीर तो यही बयां कर रही है। सरकार की नजरें केंद्र सरकार पर भी टिकी हैं। हाल में देहरादून में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलौत ने संकेत दिए थे कि सरकार भी इस मामले में गंभीरता से विचार कर रही है। ऐसे में माना जा रहा कि केंद्र के रुख के बाद ही प्रदेश सरकार कोई फैसला ले सकती है। विधानसभा के बजट सत्र के ऐन पहले कर्मचारी संगठनों के हड़ताल पर जाने के एलान से सरकार मुश्किलों में घिरी हुई भी नजर आ रही है।

पदोन्नति में आरक्षण के मसले को लेकर उत्तराखंड में जनरल-ओबीसी कर्मचारी आंदोलित हैं। उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंपलाइज एसोसिएशन के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। यह राज्य सरकार को तय करना है कि वह पदोन्नति में आरक्षण देती है अथवा नहीं। एसोसिएशन की मांग है कि उत्तराखंड में बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली का शासनादेश जारी किया जाए।

इस बीच राज्य विधानसभा के बजट सत्र से ऐन पहले कर्मचारियों के आंदोलन और सोमवार से हड़ताल पर जाने के फैसले ने सरकार की चिंता बढ़ाई हुई है। असल में प्रदेश में भाजपा की सरकार है और वह कोई निर्णय लेती है तो इसका असर अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा। ऐसे में सरकार जल्दबाजी की बजाए फूक-फूककर ही कोई निर्णय लेने के पक्ष में है।

इस बीच ऐसे संकेत मिले कि केंद्र सरकार भी पदोन्नति में आरक्षण के मसले को लेकर विचार कर रही है। देहरादून के हालिया दौरे के दरम्यान केंद्रीय मंत्री गहलौत ने इसके संकेत दिए थे। ऐसे में यह भी साफ है कि राज्य सरकार कोई भी फैसला लेने से पहले केंद्र सरकार से विमर्श करेगी।

वार्ता के दरवाजे हमेशा खुले हैंः कौशिक

कर्मचारियों को मनाने की कोशिशों के क्रम में मुख्यमंत्री और कर्मचारियों की वार्ता बेनतीजा रहने के बावजूद सरकार ने आस नहीं छोड़ी है। उसे उम्मीद है कि कर्मचारी राज्यहित में सहयोग देंगे। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने रविवार को कहा कि कर्मचारियों के लिए वार्ता के दरवाजे हमेशा खुले हैं। बातचीत से ही किसी मसले का समाधान निकलता है, हड़ताल से नहीं। इस मामले में सभी पहलुओं पर मंथन के बाद निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा से कर्मचारियों की शुभचिंतक रही है। लिहाजा, बजट सत्र में उन्हें सहयोग करते हुए राज्यहित में हड़ताल को वापस लेना चाहिए।

कार्मिकों के टकराव पर पुलिस अलर्ट

बेमियादी हड़ताल के दौरान जनरल-ओबीसी और एससी-एसटी कार्मिकों के बीच संभावित टकराव की स्थिति से निपटने को पुलिस भी अलर्ट मोड पर है। पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि ड्यूटी पर आने वाले कर्मचारियों को रोकने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

दरअसल, राज्य में बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली की मांग पर अड़े जनरल ओबीसी कार्मिक सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर जाने के साथ ही मंगलवार से शुरू हो रहे गैरसैंण सत्र का भी बहिष्कार करेंगे। वहीं आरक्षण के समर्थन में एससी-एसटी कार्मिकों ने ऐलान किया है कि वह सोमवार को ड्यूटी पर रहेंगे। इसे देखते हुए कार्मिकों में टकराव के पूरे आसार हैं।

इस पर डीजी एलओ अशोक कुमार ने कहा कि राजधानी में सचिवालय समेत सभी प्रमुख सरकारी दफ्तरों में पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। हड़ताल के दौरान जो कार्मिक ड्यूटी पर रहेंगे, उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। अगर उनके साथ कोई भी किसी तरह से बदसलूकी करता है तो संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

गैरसैंण मार्ग पर रहेगा अतिरिक्त पुलिस बल

आइजी गढ़वाल अजय रौतेला ने कहा कि परिक्षेत्र के सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को सोमवार सुबह से ही अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं जनरल ओबीसी एसोसिएशन के गैरसैंण कूच को देखते हुए गैरसैंण मार्ग पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। सत्र को निर्बाध पूर्ण कराने के लिए हरसंभव तैयारियां की जा रही हैं।

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