उत्तराखंड में पर्वतारोहण से होने वाली आय का 25 प्रतिशत हिस्सा अब उत्तराखंड को मिलेगा। इसके साथ ही अब तक देशी-विदेशी पर्वतारोहियों से लिया जाने वाला एक्सपेडीशन शुल्क समाप्त कर दिया गया है। इससे पर्वतारोहियों को राहत मिलने के साथ अधिक संख्या लोग पर्वतारोहण और ट्रेकिंग के लिए आकर्षित होंगे। इसके साथ ही पर्वतारोहण और ट्रेकिंग के लिए खोली गई 40 नई चोटियों की सूची जारी कर दी गई है।
बीते दिनों केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार शासन ने 40 चोटियों पर पर्वतारोहण और ट्रेकिंग गतिविधियां संचालित करने की अनुमति प्रदान कर दी थी। इससे पूर्व वन विभाग की ओर से उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के सहयोग से इन चोटियों का सर्वे कर आवश्यक जानकारी एकत्र कर केंद्र को उपलब्ध करा दी गई थी। इसके तहत 40 (30 को पर्वतारोहण व 10 को ट्रेकिंग के लिए) चोटियों को उपयुक्त पाया गया था।
अब शासन की ओर से देशी-विदेशी पर्यटकों से पर्वतारोहण गाइडलाइन-2004 के प्रावधानों के अनुसार लिए जाने वाले एक्सपेडीशन शुल्क को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही गृह मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार भारतीय पर्वतारोहण संस्थान, नई दिल्ली की ओर से देशी-विदेशी पर्यटकों एवं अन्य से लिए जा रहे 25 प्रतिशत शुल्क को उत्तराखंड को उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया है। अभी तक सौ प्रतिशत शुल्क भारतीय पर्वतारोहण संस्थान की ओर से वसूला जाता था।
पर्वतारोहण के लिए चिह्नित 30 नई चोटियां
-एविलांच पीक-टू, बालाकुन, बेथारटोली, बेथारटोली-साउथ, भीर्गुपर्वत, चिरवास पर्वत, देवीस्थान-वन, देवीस्थान-टू, दूनागिरि, डंगथाल, देवतोली, गरूड़ पर्वत, गरूड़ फोक्ड, जन्हूकुट, कालीढांग, लंपक साउथ, मंडा-टू, मंडा-थ्री, नंदा भनार, नंदा खनी, पार्वती पर्वत, पूर्वी दूनागिरि, पंचाचूली-टू, पंचाचूली-थ्री, पंचाचूली-फोर, पंचाचूली-पाइव, ऋषि पहाड़, ऋषि कोट, सप्त मूनल, सुमेरू पर्वत।
ट्रैकिंग के लिए चिह्नित 10 नई चोटियां
– भगन्यू, लामचिर, लामचिर साउथ, नव पर्वत, नारायण पर्वत, नंदा लपक, रत्नगरिया, यन बक, महालय पर्वत, पवनगढ़
शासन के इस फैसले से जहां उत्तराखंड में पर्वतारोहण के लिए आने वाले लोगों को फायदा होगा, वहीं ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग यहां पर्वतारोहण के लिए आकर्षित होंगे। इसके साथ ही ट्रेकिंग मार्ग पर पड़ने वाले गांवों, होटल व्यवसाय, गाइड, पोर्टल, हेल्पर, जिप्सी संचालक आदि को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। स्थानीय उत्पाद भी देश-विदेश तक पहुंच सकेंगे। इससे ग्रामीणों की आजीविका संवर्द्धन में भी मदद मिलेगी।- आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव, वन