पहाड़ को एयर एंबुलेंस की सख्त जरूरत,अभी तक बच सकती थी कई जान,जाने क्या है प्रदेश के हालात

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स्वास्थ्य के मोर्चे पर उत्तराखंड की स्थिति काफी विकट है। प्रदेश के 13 जिलों में से आठ जिले तो शुद्ध रूप से पहाड़ी हैं। ऐसे में प्रदेश को एयर एंबुलेंस की दरकार है।

उत्तराखंड के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद हैं। ऐसे में जिला मुख्यालयों पर अस्पतालों तक मरीजों को पहुंचाना मुश्किल काम है। कुमाऊं में अभी एक मरीज को अस्पताल पहुंचाने में तीन दिन लग गए। एक और मामले में एक मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजनों को 42 घंटे पैदल चलना पड़ा। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सैकड़ों गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य सहूलियतों के अभाव में प्रसव के वक्त दम तोड़ देती हैं। ऐसे में एनएचआरएम के तहत अगर एयर एंबुलेंस की सुविधा होती तो न सिर्फ हजारों जाने बचाई जा सकती थीं बल्कि तीन दिन या 42 घंटे पैदल न चलना पड़ता।

एयरएंबुलेंस संचालन की पर्याप्त सहूलियत है उत्तराखंड में
उत्तराखंड में एनएचआरएम के तहत केंद्र ने बेशक एयरएंबुलेंस को ठुकरा दिया है मगर इस प्रदेश में इसके संचालन की पर्याप्त सहूलियत हैं। केंद्र की उड़ान योजना के तहत हवाई सेवाओं का विस्तार हुआ है। प्रदेश में वर्तमान में 51 हेलीपैड के साथ ही दो एयरपोर्ट और तीन हवाई पट्टी है। लेकिन कई हेलीपैड पर बुनियादी ढांचे और यात्री सुविधाओं का विकास नहीं हुआ है। इसके लिए सरकार जन सहभागिता योजना (सीएसआर) के तहत हेलीपैडों को विकसित कर रही है। जिससे प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के लिए हवाई सेवाएं शुरू की जा सके।

उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण(यूकाडा) के अधीन 51 हेलीपैड है। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के दौरान तुरंत राहत व बचाव कार्य के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में हवाई सेवाएं बढ़ी है। एसडीआरएफ ने 162 और हेलीपैडों की सूची यूकाडा को दी है। इन हेलीपैडों का स्थानीय प्रशासन के माध्यम से भौतिक सत्यापन किया जाएगा। जिसके बाद इन हेलीपैडों पर हेलीकाप्टर के लैडिंग की अनुमति मिल सकेगी। उड़ान योजना के तहत देहरादून से चिन्यालीसौड़, गौचर, टिहरी, श्रीनगर, देहरादून से पिथौरागढ़ के लिए हवाई सेवाएं शुरू की गई है। इसके प्रदेश के 14 अन्य मार्गों पर हवाई सेवाएं शुरू की कार्रवाई चल रही है।

प्रदेश में 51 हेलीपैड हैं। इसके अलावा एसडीआरएफ की ओर से आपदा के दौरान राहत व बचाव के लिए लगभग 162 हेलीपैड की सूची दी गई है। जिसका स्थानीय प्रशासन के माध्यम से सत्यापन किया जाएगा। प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए उड़ान योजना के तहत कई स्थानों के लिए हवाई सेवाएं शुरू करने की कार्रवाई चल रही है।
– डॉ अजय खन्ना, महासचिव आईएमए, उत्तराखंड

13 जिलों में ये है स्थिति

देहरादून: दून में 35 हेलीपैड 
राजधानी दून में हेलीपैड की स्थिति अन्य जिलों से बेहतर है। जिला आपदा परिचालन केंद्र के अनुसार, जिले में कुल 35 हेलीपैड हैं। इसमें स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के हेलीपैड शामिल हैं। प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में दून के हेलीपैड की स्थिति बहुत अच्छी है। जिला आपदा परिचालन केंद्र अधिकारी दीपशिखा भट्ट ने बताया कि इसमें से कुछ हेलीपैड स्थायी हैं। वहीं, कुछ ऐसे हैं जो जरूरत के अनुसार तैयार किए जाते हैं। सभी स्थायी हेलीपैड किसी न किसी एजेंसी के अधीन हैं। इसलिए उनकी स्थिति बहुत अच्छी है।

हरिद्वार: प्रशासन के पास नहीं अपना स्थायी हेलीपैड
जनपद में प्रशासन का अपना स्थायी हेलीपैड नहीं है। हालांकि, बीईजी रुड़की और पतंजलि में स्थायी हेलीपैड बना हुआ है। प्रशासन का इनमें कोई ज्यादा हस्तक्षेप नहीं रहता है। धर्मनगरी हरिद्वार में आए दिन वीआईपी मूवमेंट बना रहता है। बरसात में लक्सर क्षेत्र में बाढ़ की आशंका बनी रहती है। इतना होने के बावजूद भी प्रशासन का स्थायी हेलीपैड नहीं है। अपर जिलाधिकारी प्रशासन बीके मिश्र ने बताया कि अस्थायी हेलीपैड से हेलीकॉप्टर को उतारने में कोई दिक्कत नहीं है।

नई टिहरी:  जिले में 69 हेलीपैड
टिहरी जिले में जिला मुख्यालय नई टिहरी, बीपुरम, कोटीकालोनी,  पुलिस लाइन, नरेंद्रनगर, मुनिकीरेती सहित दूर दराज के क्षेत्रों में कुल 69 हेलीपैड हैं। निकाय क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले हेलीपैड पर सड़क कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध है। प्रतापनगर, घनसाली, कंडीसौड़, थत्यूड़, नैनबाग, कीर्तिनगर में अस्थायी हेलीपैड है। वीआईपी आगमन पर ही इन हेलीपैड का उपयोग किया जाता है। बीपुरम, कोटीकालोनी, नरेंद्रनगर, चंबा पुलिस लाइन हेलीपैड में पेयजल, शौचालय और चेजिंग रूम सहित अन्य सभी आवश्यक सुविधा उपलब्ध है। इन स्थानों के समीप होटल, अतिथि गृह की सुविधा है। कोटीकालोनी और बीपुरम हेलीपैड टिहरी झील के समीप स्थित है।

रुद्रप्रयाग: 17 स्थायी हैलीपैड
जिले में 17 स्थायी हैलीपैड हैं। ये सभी हैलीपैड केदारघाटी में स्थित हैं जिनकी सड़क से दूरी 50 से 300 मीटर तक है। गुप्तकाशी, नारायणकोटी, बडासू, शेरसी, फाटा, सोनप्रयाग में अलग-अलग स्थानों पर 13 हैलीपैड हैं। इसमें कुछ हैलीपैड पर एक साथ दो हैलीकॉप्टर के लैंड होने की सुविधा है। वहीं, गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचट्टी में भी दो हैलीपैड बनाए गए हैं। वहीं, केदारनाथ में भी एमआई-26 व एमआई-17 के लिए हैलीपैड हैं। इधर, रुद्रप्रयाग में गुलाबराय मैदान, अगस्त्यमुनि में खेल मैदान, जखोली में वन चेतना केंद्र और ऊखीमठ में जीआईसी मैदान को अस्थायी हैलीपैड के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

पौड़ी: जिले में हैं तीन स्थायी व 48 अस्थायी हेलीपैड
जनपद पौड़ी में तीन स्थायी और 48 अस्थायी हेलीपैड हैं। जिलाधिकारी डा. विजय कुमार जोगदंडे ने मानसून को देखते हुए अधिकारियों को सभी हेलीपैड सुचारु रखे जाने के निर्देश दिए हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी दीपेंद्र काला ने बताया कि जीवीके हेलीपैड श्रीनगर, ग्रास्ट गंज कोटद्वार व वानप्रस्थ स्वर्गाश्रम हेलीपैड जिले के स्थायी हेलीपैड हैं।

चमोली: गैरसैंण और गौचर के अलावा कहीं नहीं स्थायी हेलीपैड

चमोली जनपद में गैरसैंण और गौचर के अलावा कहीं भी स्थायी हेलीपैड नहीं हैं। दोनों जगहों पर सड़कों के समीप ही हेलीपैड निर्मित हैं। गोपेश्वर, जोशीमठ, पोखरी, घाट व अन्य जगहों पर खेल मैदानों को ही अस्थायी हेलीपैड के रूप में उपयोग में लाया जाता है। जोशीमठ के रविग्राम में स्थानीय लोग खेल मैदान को हेलीपैड के उपयोग में लाने का विरोध कर रहे हैं।

उत्तरकाशी: 57 हेलीपैड
जिले में 57 हेलीपैड हैं। इनमें छह स्थायी हैं। इनमें हर्षिल में दो  हेलीपैड  एक आर्मी व एक अन्य सहित आईटीबीपी महिडांडा, मातली, चिन्यालीसौड़, खरसाली हैं जो रोड कनेक्टिविटी से जुड़े हैं। बड़कोट और मोरी में दो स्थायी हैलीपैड प्रस्तावित हैं। इसके अलावा भटवाड़ी ब्लॉक में 24, डुंडा में 4, नौगांव में 5, पुरोला में 2 और मोरी में 14 अस्थायी समेत 49  हेलीपैड  अस्थायी प्रकार के हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि अस्थायी  हेलीपैड  ऐसे हैं, जहां पहले कभी हेलीकॉप्टर उतर चुके हैं।

नैनीताल: चार स्थायी हेलीपैड
नैनीताल जिले में चार स्थायी और 47 अस्थायी हेलीपैड हैं। कैलाखान, सैनिक स्कूल घोड़ाखाल, आर्मी कैंट हल्द्वानी और गौलापार स्टेडियम में स्थायी हेलीपैड हैं।

बागेश्वर : एक स्थायी हेलीपैड
बागेश्वर जिले में एक स्थायी और तीन अस्थायी हेलीपैड हैं। मेलाडुंगरी में स्थायी हेलीपैड है। जबकि बागेश्वर के डिग्री कॉलेज, कपकोट के केदारेश्वर और बदियाकोट में अस्थायी हेलीपैड हैं।

चंपावत : सात अस्थायी हेलीपैड
चंपावत जिले में एक भी स्थायी हेलीपैड नहीं हैं। हालांकि अस्थायी हेलीपैड जरूर यहां चार हैं। सर्किट हाउस के पास निर्माणाधीन हेलीपैड का काम तीन साल से लटका हुआ है।

पिथौरागढ़ : जिले में 85 हेलीपैड
पिथौरागढ़ जिले में हवाई पट्टी मिलाकर सात स्थायी हेलीपैड हैं। इनमें धारचूला में चार, मुनस्यारी एक और पिथौरागढ़ में दो हैं। वहीं जिले में अस्थायी हेलीपैड की संख्या 78 हैं, जिनका आपदा या आपात स्थिति में अक्सर ही इस्तेमाल किया जाता है।

ऊधमसिंह नगर में 46 हेलीपैड
जिले में कुल 46 हेलीपैड हैं, जिनमें से पंतनगर पीएसी 31वीं वाहिनी, 46वीं वाहिनी, पुलिस लाइन सहित 16 स्थायी हेलीपैड हैं, जबकि 30 अस्थायी हेलीपैड हैं।

अल्मोड़ा जिले में पांच स्थायी हेलीपैड
अल्मोड़ा जिले में पांच स्थानों टाटिक, पेटशाल, अल्मोड़ा पुलिस लाइन, द्वाराहाट, चौखुटिया में स्थायी हेलीपैड हैं। इसके अलावा 31 स्थानों पर मैदानों को अस्थायी हेलीपैड के रूप में उपयोग किया जाता है।

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