पीएम मोदी ने गढ़वाली बोली में संबोधन शुरू कर जीता लोगों का दिल, बोले- मि आप लोगों थैं स्यवा लगाणूं छौं

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देहरादून। उत्तराखंड का सभी दाणा सयाणों, दीदी-भुलियों, चची-बोडियों और भै-बैणों…आप सब्यू थैं म्यारू प्रणाम। मिथै भरोसा च आप लोग कुशल मंगल होला.. मि आप लोगों थैं स्यवा लगाणूं छौं…आप स्वीकार करां…कुछ इस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देवभूमि उत्तराखंड की जड़ों को छूते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की। गढ़वाली बोली में उनके संबोधन की शुरुआत हुई तो जनसभा में शामिल उत्तराखंडवासी बेहद उत्साहित हो उठे और तालियों की गड़गड़ाहट से परैड मैदान गूंज उठा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूं तो जहां भी जाते हैं, वहां के रंग में रंगे नजर आते हैं। अब वो चाहे स्थानीय बोली हो या फिर पहनावा…वे हमेशा ही अलग अंदाज में नजर आते हैं। उनके संबोधन की शुरुआत भी वहां की स्थानीय बोली से ही होती है। इसी तरह वे जब भी उत्तराखंड के दौरे पर पहुंचते हैं तो पहाड़ के पानी और पहाड़ की जवानी की बात जरूर करते हैं, लेकिन इस बार वे बेहद ही अलग अंदाज में नजर आए। पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत गढ़वाली में कर न सिर्फ यहां की जनता के दिल को छूने की कोशिश की, बल्कि एक बार फिर अपना उत्तराखंड प्रेम भी दिखाया।

पीएम मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष जुड़ाव रहा है। वे जब भी यहां आते हैं तो राज्य को कुछ न कुछ सौगात जरूर देते हैं। वे पहाड़ का पानी और पहाड़ की जिक्र करना भी नहीं बाबा केदार उनके आराध्य हैं। यही वजह है कि बतौर पीएमवे पांच बार बाबा का आशीर्वाद लेने देवभूमि आ चुके हैं। खास बात ये है कि उनकी जिंदगी के कुछ पल यहीं बीते हैं।

लंबे समय तक गरुड़चट्टी में की थी साधना

बात साल 1985-86 की है। इस दौरान पीएम मोदी ने गरुड़चट्टी(रुद्रप्रयाग) में लंबे समय तक साधना की थी। वे काफी समय तक यहां गरुड़चट्टी स्थित गुफा में भोले बाबा की साधना में रहे थे। उनदिनों में पीएम मोदी हर रोज गरुड़चट्टी से ढाई किलोमीटर का सफर तय कर केदारनाथ मंदिर पहुंचते थे और बाबा के दर्शन कर लौट जाते थे। पीएम जब भी केदारनाथ के दौरे पर रहते हैं तो गरुड़चट्टी में बिताए दिनों को याद कर भावुक हो जाते हैं। एक बार फिर पीएम मोदी ने अलग अंदाज अपना उत्तराखंडवासियों का दिल जीतने की कोशिश की।

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