पुलिस को सीआरपीएफ से मिलेंगी 8000 इंसास राइफल, थ्री नॉट थ्री को मिलने जा रही विदाई

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उत्तराखंड पुलिस को सीआरपीएफ से 8000 इंसास राइफल मिलने जा रही हैं। इसके अलॉटमेंट की प्रक्रिया एक से डेढ़ माह के भीतर पूरी हो जाएगी। इंसास रायफलों को ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों को दिया जाएगा। जबकि, शहरी क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए पिस्टल की खरीद की जानी है।

गत वर्ष डीजीपी अशोक कुमार ने पुलिस को मॉडर्न बनाने के लिए पुराने हथियारों को हटाए जाने को कहा था। इसके लिए पुरानी 303 (थ्री नॉट थ्री) राइफलों को हटाकर इंसास (इंडियन स्माल ऑर्म्स सिस्टम) असॉल्ट राइफल और एसएलआर (सेल्फ लोडिंग राइफल) दी जानी हैं, लेकिन यह राइफलें नई नहीं ली जा रही हैं।

पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इंसास रायफलों को सीआरपीएफ से लिया जा रहा है। सीआरपीएफ करीब कई हजार राइफलों को हटाकर अन्य असॉल्ट राइफलों को अपनाने जा रही है। रिटायर की जाने वाली इंसास राइफलों में से करीब 8000 उत्तराखंड पुलिस को मिल रही हैं।

इनके अलॉटमेंट और खरीद की प्रक्रिया एक से डेढ़ माह के भीतर पूरी हो जाएगी। इसके साथ ही उत्तराखंड में प्रथम विश्वयुद्ध के जमाने की 303 (थ्री नॉट थ्री) राइफलों को विदाई देने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। बताया जा रहा है कि अब भी यहां पर करीब 10 हजार पुरानी थ्री नॉट थ्री राइफलें मौजूद हैं। जबकि, कई जगह एसएलआर भी उपयोग में लाई जा रही हैं।

इंसास राइफल को 1999 में भारतीय आयुध निर्माणियों में तैयार किया गया था। इसके बाद से इसका इस्तेमाल भारतीय थल सेना और नेपाली आर्मी व भारतीय पैरा मिलिट्री फोर्स ने किया था, लेकिन कारगिल युद्ध में भारतीय थल सेना को इंसास का बेहतर रिजल्ट नहीं मिला। इसके बाद से भारतीय सेना से इनके हटाए जाने का क्रम शुरू हुआ और इन्हें पैरा मिलिट्री फोर्स को दिया जाने लगा। नेपाल आर्मी का भी इंसास के साथ बुरा अनुभव है।

उत्तराखंड पुलिस के लिए उपयुक्त है इंसास
पुलिस अधिकारियों के अनुसार इंसास रायफल उत्तराखंड पुलिस के लिए उपयुक्त हथियार है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों को दिया जाएगा। यह हथियार एक मिनट में 600 से 650 गोलियां दाग सकता है, जिसकी रेंज 400 से 600 मीटर तक है। डीजीपी अशोक कुमार ने भी एसएलआर और इंसास राइफल को ही उत्तराखंड पुलिस के लिए तरजीह दी थी। इसके अलावा पिस्टलों की खरीद भी अब जल्द किए जाने की बात कही जा रही है।

हमें सीआरपीएफ से इंसास राइफल मिल रही हैं। यह सात से आठ हजार के आसपास हो सकती हैं। इनके अलॉटमेंट की प्रक्रिया में एक से डेढ़ माह या कुछ ज्यादा समय लग सकता है। इसके बाद इन्हें पुलिस में शामिल किया जाएगा, जिससे अंग्रेजों के जमाने की थ्री नॉट थ्री राइफलों को हटाया जाएगा।
– अशोक कुमार, डीजीपी उत्तराखंड

 

 

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