उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून की बारिश के चलते जगह-जगह हो रहे भूस्खलन के कारण दुश्वारियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों को तो यातायात के लिए प्राथमिकता के आधार पर खोल दिया जा रहा है, लेकिन सबसे अधिक मुश्किलें ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हो रही है।
प्रदेश में सोमवार शाम पांच बजे तक कुल 134 सड़कें बंद थीं, इनमें 129 ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। विभागीय मंत्री ने ग्रामीण सड़कों को भी शीघ्र खोले जाने के निर्देश जारी किए हैं। वहीं, बारिश के बाद कई जगह जलभराव की समस्या भी पैदा हो गई। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, उत्तरकाशी जनपद में लंबगांव-घनसाली-तिलवाड़ा मोटर मार्ग साडा के समीप मलबा आ जाने के कारण अवरुद्ध है। मार्ग के 15 अगस्त तक खुलने की उम्मीद है। यहां लोनिवि की टीमें मार्ग को खोलने में लगी हैं।
वैकल्पिक तौर पर इस मार्ग का यातायात डुंडा-देवीधार-धनारी-संकूर्णाधार मोटर मार्ग पर डायवर्ट किया गया है। इसके अलावा जिले में एनएच-108 और एनएच-94 यातायात के लिए खुले हैं। इधर, देहरादून जनपद में छह ग्रामीण मोटर मार्ग अब भी अवरुद्ध हैं। चमोली में 44 ग्रामीण सड़कों को खुलने का इंतजार है। जबकि एनएच-58 यातायात के लिए खुला है। रुद्रप्रयाग में 10 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरुद्ध हैं, जिन्हें खोलने की कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा एनएच-107 यातायात के लिए खुला है।
पौड़ी जनपद में एनएच-58 तो खुला है, लेकिन मलबा आने से 38 ग्रामीण सड़कें अब भी बंद हैं। टिहरी जनपद में ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए खुला है, जबकि जिले की सात ग्रामीण सड़कें बंद हैं। बागेश्वर में एक राज्य मोटर मार्ग, दो ग्रामीण सड़कें, चंपावत में सात ग्रामीण सड़कें बंद हैं। पिथौरागढ़ में दो बार्डर रोड के अलावा दो ग्रामीण सड़कें मलबा आने से अवरुद्ध हैं।
इधर विभागीय मंत्री सतपाल महाराज की ओर से कार्यदायी एजेंसियों को राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा ग्रामीणों सड़कों को भी शीघ्र खोलने के निर्देश जारी किए गए हैं। लोनिवि के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने बताया कि सड़कों को खोलने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीण सड़कों को भी प्राथमिकता के आधार पर खोला जा रहा है।
पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश के बाद गंगा नदी का जल स्तर भी घट बढ़ रहा है। तीर्थनगरी ऋषिकेश में गंगा पक्के घाटों के ऊपर से होकर बह रही है। दोपहर 12 बजे गंगा का जलस्तर बढ़ने से त्रिवेणीघाट पर बना आरती स्थल जलमग्न हो गया। शाम तक गंगा का जलस्तर कुछ ही कम हुआ है।
लामबगड़ नाले के उफान पर आने से बदरीनाथ हाईवे करीब 20 घंटे तक बाधित रहा। ऐसे में बदरीनाथ धाम गए डीएम हिमांशु खुराना भी वहीं फंस गए। हाईवे जल्द खुलता न देख प्रशासन और स्थानीय लोगों ने डीएम को पैदल ही नाला पार करवाया।