उत्तराखंड में देहरादून (पुरकुल गांव) से मसूरी (लाइब्रेरी चौक), कद्दूखाल से सुरकंडा देवी मंदिर, ठुलीगाड़ से पूर्णागिरि, जानकी चट्टी (खरसाली) से यमुनोत्री, रानी बाग से नैनीताल, गौरीकुंड से केदारनाथ, गोविंद घाट से हेमकुंड, झलपाडी से दीवाडांडा, कीर्तिखाल से भैरव गढ़ी और क्यूंकालेश्वर महादेव मंदिर तक रोपवे बनाए जाने हैं। इनके निर्माण फिलहाल अलग-अलग चरणों में हैं। लेकिन ज्यादातर का निर्माण कछुए की रफ्तार से हो रहा है। प्रदेश में हरिद्वार में चंडी देवी रोपवे, मां मनसा देवी रोपवे, मल्लीताल नैनीताल रोपवे, देहरादून में सहस्रधारा रोपवे, जोशीमठ में औली रोपवे, टिहरी में कैंपटी फॉल, मसूरी रोपवे और भट्टा गांव मसूरी समेत कुल आठ रोपवे संचालित हो रहे हैं। सभी चालू हालत में हैं। बीते माह ही लोनिवि व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यटन, ब्रिडकुल, वन विभाग और लोनिवि के अधिकारियों के साथ बैठक रोपवे निर्माण की प्रगति जानी थी और दिशा निर्देश जारी किए थे।
देहरादून : मंजूरी मिलते ही शुरू होगा दून-मसूरी एरियल रोपवे का काम
दून से मसूरी तक एरियल पैसेंजर रोपवे का सपना जल्द ही साकार होगा। योजना में आ रही सभी बाधाएं लगभग पूरी हो चुकी है। इंतजार है तो सिर्फ केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की स्वीकृति की। स्वीकृति मिलती ही रोपवे का काम शुरू हो जाएगा। दिसंबर तक योजना पर काम शुरू होने की उम्मीद है। दून-मसूरी के प्रस्तावित रोपवे को विश्व का पांचवां सबसे लंबा मोनो-केबिल डिटैचेबल पैसेंजर रोपवे माना जा रहा है। इसकी लंबाई करीब पांच किलोमीटर है। निर्माण पूरा होने से दून से मसूरी की दूरी मात्र बीस मिनट रह जाएगी। करीब 258 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की लगभग सभी बाधाएं पूरी हो चुकी हैं। योजना में सबसे बड़ी बाधा लैंड ट्रांसफर की थी। इसे सुलझा लिया गया है। डिप्टी डायरेक्टर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषदऔर योजना का काम देख एसएस सामंत ने बताया कि विभाग की साल के अंत तक योजना पर काम शुरू करने की योजना है। कहा कि लगभग सभी बाधाएं पूरी हो चुकी है।