ब्लैक फंगस, भारी पड़ सकती है लापरवाही,अब होम आइसोलेट संक्रमितों पर भी हमला बोल रहा ।

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अब तक केवल अस्पतालों में भर्ती मरीजों में ही ब्लैक फंगस का संक्रमण पाया जा रहा था, लेकिन अब होम आइसोलेट संक्रमित भी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। देहरादून, उधमसिंह नगर और नैनीताल के अस्पतालों में ऐसे कई मरीज भर्ती हैं। ऐसे में डायबिटीज, कैंसर, एचआईवी और प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले अन्य बीमारियों से ग्रस्त कोविड संक्रमितों को खास एहतियात बरतने की जरूरत है।प्रदेश के तीन जिलों के 10 अस्पतालों में अब तक ब्लैक फंगस के 118 केस मिल चुके हैं। इनमें 9 संक्रमितों की मौत भी हो चुकी है। सबसे अधिक 83 संक्रमित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में मिले हैं। हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में 17 कोविड संक्रमितों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है।

दोनों बड़े अस्पतालों में अधिकांश संक्रमित दूूसरे स्थानीय अस्पतालों से रेफर होकर आए थे। इनमें से नौ संक्रमित ऐसे थे तो जो होम आइसोलेट थे। यहां जांच के बाद मरीजों में ब्लैक फंगस का संक्रमण पाया गया। संक्रमितों में अधिकांश मरीज वे हैं, जिनका ब्लड शुगर बढ़ा हुआ था। एम्स के ईएनटी विभाग के डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि हाई ब्लड शुगर लेवल, कैंसर पीड़ित या अंग प्रत्यारोधक क्षमता वाले मरीजों को खास एहतियात बरतनी चाहिए। इसके साथ ही पोस्ट कोविड मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। होम आइसोलेशन के दौरान कोविड संक्रमितों के लिए हाइजीन बहुत जरूरी है। भाप लेने वाला पानी इस्तेमाल से पहले हर बार बदलना चाहिए। अगर ऑक्सीजन थैरेपी ले रहे हैं तो मास्क, ऑक्सीजन फ्लोमीटर और प्लास्टिक ट्यूबिग की समय-समय पर सफाई करते रहें। मास्क की बजाय कैनुला का इस्तेमाल करें। ह्यूमिडिफायर की बोतल के पानी को हर 24 घंटे में बदलें। हमेशा सलाइन और डिस्टिल वाटर का प्रयोग करें।

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