देहरादून। उत्तराखंड के राज्यपाल पद से बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे और उनके राजनीति में सक्रिय होने की चर्चा के बीच अब महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के भी सक्रिय राजनीति में वापसी के कयास लगने शुरू हो गए हैं। इंटरनेट मीडिया में चल रही चर्चाओं के मुताबिक कोश्यारी को भाजपा नेतृत्व उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव संचालन समिति की बागडोर सौंप सकता है।
भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर गठित पहली अंतरिम सरकार में नित्यानंद स्वामी के बाद दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा, क्योंकि वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव के समय भी कोश्यारी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे, मगर तब सत्ता में आने पर भाजपा नेतृत्व ने पूर्व केंद्रीय मंत्री व पौड़ी सीट से सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री का पद सौंपा। सांगठनिक क्षमता के लिहाज से निपुण माने जाने वाले कोश्यारी ने भाजपा प्रदेश संगठन के मुखिया की भी जिम्मेदारी निभाई।
इसके बाद भगत सिंह कोश्यारी पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा सदस्य बने। फिर उन्हें केंद्र ने महाराष्ट्र जैसे बड़े व महत्वपूर्ण राज्य में राज्यपाल बनाकर भेज दिया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वह राजनीतिक गुरु हैं। राज्य में अब चार-पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा ने पिछली बार 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार इस प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती भाजपा के सामने है। उधर, विपक्ष कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत को चुनाव अभियान संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया है। रावत उत्तराखंड ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं।
अब राज्यपाल पद से बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा चल रही है कि भगत सिंह कोश्यारी भी हरीश रावत को टक्कर देने के लिए सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकते हैं। इंटरनेट मीडिया में तो इसके जोरदार कयास लग रहे हैं।