इसरो के एक पूर्व अधिकारी को साइबर ठगों ने मुकदमे में फंसाने का डर दिखाकर ठग लिया। बुजुर्ग ने मुकदमे से बचने के लिए एफडी तक तोड़ डाली और ठगों को चार लाख रुपये दे दिए। जब उन्हें पता चला कि यह ठगों का काम है तो उन्होंने दिल्ली पुलिस से शिकायत की। इसके बाद इसे देहरादून ट्रांसफर किया गया, जिसके बाद कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
ठगी सौरी सेनगुप्ता निवासी पंडितवाड़ी के साथ हुई। सेनगुप्ता देश के विभिन्न सरकारी और प्राइवेट विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार रह चुके हैं। वह इसरो में भी काम कर चुके हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को शिकायत की थी। बताया था कि वह गत मार्च में कोलकाता काली मंदिर में पूजा के लिए गए थे। जैसे ही वह मंदिर से निकले तो उन्हें एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को जयपुर पुलिस का एसओ बताया। उसने कहा कि एक व्यक्ति की आत्महत्या में उनका नाम आ रहा है।
यह सुनकर वह घबरा गए। इसके थोड़ी देर बाद किसी विक्रम राठौर नाम के व्यक्ति का फोन आया। राठौर नाम के व्यक्ति ने खुद को रोहिणी थाना दिल्ली का एसएचओ बताया। उसने भी इसी तरह की बात कही। सेनगुप्ता के अनुसार वह दिल की बीमारी से ग्रसित हैं और उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है। ऐसे में उन्होंने उनसे पूछा कि इस मुकदमे से बचने के लिए क्या करना होगा? इस पर दोनों कथित अधिकारियों ने कहा कि उन्हें 10 लाख रुपये देने होंगे तभी उनका नाम इस मुकदमे से काटा जा सकता है।
सौरी सेनगुप्ता ने इसके लिए देहरादून में अपनी एफडी तोड़ डाली, जिससे उन्हें चार लाख रुपये मिले। यह रुपये उन्होंने इन कथित अधिकारियों के खाते में जमा कर दिए। जब उन्होंने इसका जिक्र अपनी बेटी से किया तो उन्होंने बताया कि ये सारा काम साइबर ठगों का है। एसएचओ कैंट संपूर्णानंद गैरोला ने बताया कि सौरी सेनगुप्ता देहरादून के रहने वाले हैं और उन्होंने पैसा भी यहीं से भेजा है। ऐसे में यह मुकदमा कैंट थाने में दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों के संबंध में जांच की जा रही है।