देहरादून। उत्तराखंड में सौर ऊर्जा अब सिर्फ घर-आंगन को रोशन करने तक ही सीमित नहीं रहेगी। निकट भविष्य में यह बेरोजगारी का अंधेरा मिटाकर हजारों युवाओं के जीवन में खुशियों का उजियारा भी भरेगी। इसके लिए राज्य सरकार ने उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) के जरिये प्रयास शुरू कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्रदेश में पर्वतीय जिलों के दूरस्थ और सीमांत गांवों में रहने वाले करीब 10 हजार युवाओं/किसानों को 25-25 किलोवाट के सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। हर पावर प्लांट न सिर्फ 25 साल तक रोजगार देगा बल्कि आसपास के गांवों को इससे सस्ती बिजली भी मिलेगी। इससे कोरोनाकाल में प्रदेश लौटे प्रवासियों को गांव में ही रोजगार मिल सकेगा। सौर ऊर्जा पावर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली उत्तराखंड पावर कॉपरेरेशन लिमिटेड खरीदेगा।
पिरूल से भी होगा बिजली उत्पादन
प्रदेश में पिरूल (चीड़ की पत्ती) व अन्य प्रकार के बायोमास से भी बिजली उत्पादन की 36 परियोजनाएं पर्वतीय जिलों के बाशिंदों को आवंटित की हैं। चार परियोजनाओं से दिसंबर में विद्युत उत्पादन भी शुरू हो जाएगा।
जगमगाएंगे सूबे के गांव
अटल ज्योति योजना के तहत सूबे के दूरस्थ व दुर्गम इलाकों में 19 हजार 665 स्ट्रीट लाइट का आवंटन किया गया है। इनमें से 1221 स्ट्रीट लाइट लग चुकी हैं। इस योजना में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत का अनुदान दे रही है। बाकी का दस प्रतिशत बजट राज्य सरकार को वहन करना है।
छत पर प्लांट के 1402 आवेदन
सौर ऊर्जा के प्रति प्रदेशवासियों का रुझान भी बढ़ रहा है, जिसे रूफटॉप (छत पर) सोलर पावर प्लांट योजना के आवेदन में देखा जा सकता है। यूपीसीएल के माध्यम से चलाई जा रही इस योजना के लिए 1402 लोग ने आवेदन किया है। इसके तहत कोई भी अपने घर की छत पर अपनी जरूरत के अनुसार प्लांट लगाकर बिजली का खर्च कम कर सकता है।
एके त्यागी (मुख्य परियोजना अधिकारी, उरेडा) का कहना है कि सौर ऊर्जा सस्ती और निर्बाध बिजली का सबसे बेहतरीन विकल्प है। उरेडा की ओर से चलाई जा रही योजनाओं में उत्तराखंड के निवासियों की ओर से खासी रुचि ली जा रही है। अब सरकार ने इसे रोजगार से जोड़ा है, जिससे पलायन रोकने में भी मदद मिलेगी।