देहरादून । प्रदेश में वन्य जीवों के कारण जान से हाथ धोने वाले वनकर्मियों के परिजनों को सरकार अब 15 लाख रुपये का मुआवजा देने की तैयारी कर रही है। इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसके बाद इसे मंत्रिमंडल के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा जाएगा।
अभी जंगल में वन्य जीवों का शिकार होने पर वन कर्मियों के परिजनों को तीन लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है। अल्मोड़ा में हुई कैबिनेट में इस तरह के वन्य जीव संघर्ष को आपदा घोषित करने का फैसला किया गया।
इससे अब जान गंवाने वाले वनकर्मियों के परिजनों को एक लाख रुपये और मिल जाएंगे। पर कुल चार लाख की इस राशि को भी वन विभाग नाकाफी मान रहा है। वन विभाग का कहना है कि पुलिस की तरह ही वनकर्मियों को भी रोज जोखिम का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में वन कर्मियों के परिजनों को भी पुलिस कर्मियों के परिजनों के समान 15 लाख रुपये मिलने चाहिए। इसके लिए बाकायदा प्रस्ताव भी तैयार किया गया, लेकिन इसमें लग रहे समय को देखते हुए अब वन विभाग ने नया प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव के तहत जान गंवाने वाले वनकर्मी के परिजनों को 15 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसमें से 11 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि को भी वन विभाग अपने बजट से वहन करेगा।
श्रमिकों को भी मिलेगा यह मुआवजा
प्रस्ताव के तहत वन क्षेत्र में दैनिक मजदूरी करने वाले श्रमिकों के साथ ही अन्य कर्मियों को भी यह मुआवजा दिया जाएगा। वन विभाग इस समय नर्सरी तैयार कराने से लेकर वन क्षेत्र में निर्माण कराने और पेड़ों के कटान आदि में दिहाड़ी मजदूरों की सेवाएं लेता है। इन सबको इस योजना के दायरे में लाया है।
वन कर्मियों का जोखिम पुलिस और अन्य सैन्य संस्थाओं के कर्मियोें की तुलना में कम नहीं है। इसी को देखते हुए यह नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा। मैंने मुख्यमंत्री से भी इस मामले में बात कर ली है।
- हरक सिंह, वन मंत्री