वन गुर्जरों का ग्रीष्मकालीन प्रवास प्रतिबंधित, राशन और पशु चारे की व्यवस्था के दिए निर्देश

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देहरादून। उत्तराखंड में वन गुर्जरों के ग्रीष्मकालीन प्रवास को प्रतिबंधित कर दिया गया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने मंगलवार को सचिवालय में वन गुर्जरों के संबंध में हुई बैठक में यह निर्देश दिए। साथ ही वनाधिकारियों के साथ ही अन्य विभागों के माध्यम से वन गुर्जरों में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाने को भी कहा है। मुख्य सचिव ने सील किए गए वन गुर्जर क्षेत्रों में राशन और पशुओं के चारे की उचित व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।

वन गुर्जर ग्रीष्मकाल में अपने पशुओं को लेकर पर्वतीय क्षेत्रों की तरफ प्रवास पर जाते हैं। इसके लिए राज्य से बाहर के वन गूर्जर भी उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में आते हैं। मौजूदा परिस्थितियों में उनके प्रवास पर जाने से कोरोना के संक्रमण की आशका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसे देखते हुए शासन सक्रिय हो गया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वन गूजरों को लेकर मंगलवार को हुई बैठक में भी यह मसला उठा। इस पर मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि कोविड-19 के मद्देनजर वन गुर्जरों के ग्रीष्मकालीन प्रवास को पूरी तरह प्रतिबंधित रखा जाए।
मुख्य सचिव प्रदेश में वन क्षेत्रों के अलावा अन्य स्थानों पर रह रहे वन गुर्जरों के परिवारों, परिवार में सदस्यों की संख्या, कुल पशुओं की संख्या का डाटा शीघ्र तैयार करने के निर्देश भी दिए, जिससे उनके लिए राशन और पशु चारे की उचित व्यवस्था की जा सके। उन्होंने कहा कि पशुओं के चारे की व्यवस्था पशुपालन विभाग के माध्यम से की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सील किए गए क्षेत्रों में भी राशन और पशु चारे की समस्या न रहे, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जाए।

मुख्य सचिव ने वन गुर्जरों और उनके पशुओं का समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराने पर भी जोर दिया। बैठक में बताया गया कि वन गुर्जर दुग्ध व्यवसाय से जुड़े हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे दूध की बिक्री नहीं कर पा रहे हैं। इस पर मुख्य सचिव ने कहा वन गुर्जर से दूध और दुग्ध उत्पाद लेकर इन्हें आंचल के माध्यम से प्रोसेस्ड किया जा सकता है। इसके लिए सभी संबंधित विभागों को समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश भी दिए। इस मौके पर प्रमुख सचिव वन आनंद बर्धन, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज, सचिव पशुपालन आर. मीनाक्षी सुंदरम उपस्थित थे।

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