अगर आपके पास वैक्सीनेशन कार्ड है तो यह खबर आपके लिए है। सोशल मीडिया पर ई-वैक्सीन कार्ड शेयर करने वाले भी ठगों के निशाने पर आ सकते हैं। कार्ड में क्यूआर कोड होता है। जिसमें व्यक्ति की जानकारी होती है। कोड स्कैन होने से साइबर अपराधी आपको चूना लगा सकते हैं। हरिद्वार साइबर सेल ने अलर्ट जारी करते हुए ई-वैक्सीन कार्ड सोशल मीडिया पर शेयर न करने की अपील की है। वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में खासा उत्साह है। वैक्सीन लगने के बाद लाभार्थी को डिजिटल कार्ड मिलता है, जिसमें वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज की डेट होती है। साथ ही संबंधित व्यक्ति के बारे में डिटेल भी लिखी होती है। इस ई-कार्ड को वैक्सीन लगने के बाद लोग अपने सोशल मीडिया अकाउंट में साझा कर रहे हैं। ऐसे में सक्रिय साइबर ठग डिटेल लेकर संबंधित व्यक्ति को कॉल कर नाम से पुकारते हैं। कई लोग उनके झांसे में आकर ओटीपी भी शेयर कर देते हैं। इससे उनके खाते से रुपये निकल जाते हैं। इसके साथ ही दिए गए मोबाइल नंबर पर बिना कॉल किए लिंक भी शेयर कर खुद को स्वास्थ्य विभाग से होने का हवाला देते हैं। अधिकतर लोग उनके झांसे में आकर ठगी का शिकार हो जाते हैं।
कोरोना संक्रमण को लेकर फैली दहशत का फायदा उठाते हुए साइबर ठग कोरोना का मुफ्त इलाज, दवा, वैक्सीन के बाद कोरोना से जंग जीतकर आने वाले लोगों को दोबारा संक्रमित न होने की शर्तिया दवा दिलाने के नाम पर ठगी कर रहे हैं। कोरोना काल में लोगों को सहायता और इलाज में खर्च रकम की प्रतिपूर्ति करने के नाम पर ई-मेल, वाट्सएप मैसेज भेजकर ठग झांसे में ले रहे हैं। फिर बैंक खाते की पूरी जानकारी लेकर, हैक कर ऑनलाइन पैसे उड़ा रहे हैं।ऑक्सीजन सिलिंडर, कंसंट्रेटर, फ्लोमीटर, बेड, एंबुलेंस समेत अन्य दवाओं और उपकरणों के नाम पर ये लोग जरूरतमंदों के साथ ठगी कर रहे हैं। इनके चंगुल में फंसकर जरूरतमंद लोग और परेशान हो रहे हैं।
वैक्सीनेशन ई-कार्ड क्यों है खास
– यह एक तरह का प्रोविजनल सर्टिफिकेट होता है, जोकि हर लाभार्थी को वैक्सीन के दोनों डोज लगने के बाद जारी किया जाता है।
– यह सीधे लाभार्थी के मोबाइल में कोविन एप के जरिए भेजा जाता।
– ई-कार्ड में लाभार्थी से जुड़ी जानकारी, जिसमें लाभार्थी का नाम, उम्र, कौन सा आईडी प्रूफ, पता, बेनिफिशरी रिफरेंस और आईडी होते हैं।
– सोशल मीडिया पर इन डिटेल्स की जानकारी देने वाले वैक्सीनेशन ई कार्ड को डालने से साइबर ठग इस जानकारी का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
– आईडी से जुड़ी जानकारी के आधार पर खातों से रकम पार करने का खतरा भी बनता है।
– इसके अलावा आपकी पर्सनल डिटेल के किसी गलत जगह पर शेयर होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
– यह एक तरह का प्रोविजनल सर्टिफिकेट होता है, जोकि हर लाभार्थी को वैक्सीन के दोनों डोज लगने के बाद जारी किया जाता है।
– यह सीधे लाभार्थी के मोबाइल में कोविन एप के जरिए भेजा जाता।
– ई-कार्ड में लाभार्थी से जुड़ी जानकारी, जिसमें लाभार्थी का नाम, उम्र, कौन सा आईडी प्रूफ, पता, बेनिफिशरी रिफरेंस और आईडी होते हैं।
– सोशल मीडिया पर इन डिटेल्स की जानकारी देने वाले वैक्सीनेशन ई कार्ड को डालने से साइबर ठग इस जानकारी का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
– आईडी से जुड़ी जानकारी के आधार पर खातों से रकम पार करने का खतरा भी बनता है।
– इसके अलावा आपकी पर्सनल डिटेल के किसी गलत जगह पर शेयर होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
कोई भी पर्सलन जानकारी सोशल मीडिया पर नहीं जाननी चाहिए। क्यूआर कोड में काफी जानकारी होती है। वहीं लोगों को किसी भी लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए।
– सुंदरम शर्मा, साइबर सेल प्रभारी, हरिद्वार