उत्तराखंड के निजी और व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों के नए और पुराने पाठ्यक्रमों के शुल्क निर्धारण के मामले में इंतजार फिर लंबा हो चला है। प्रवेश और शुल्क नियामक समिति और अपीलीय प्राधिकरण के अध्यक्षों के लिए सरकार को दोबारा से आवेदन मांगने पड़ रहे हैं। इससे पहले इन पदों के लिए अंतिम तिथि गुजरने के बावजूद आवेदन नहीं मिले।
प्रवेश और शुल्क नियामक समिति और अपीलीय प्राधिकरण में अध्यक्षों की नियुक्ति का मसला हल नहीं हो पा रहा है। इन दोनों ही पदों पर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। इनके लिए नाम हाईकोर्ट की ओर से भेजे जाते हैं। सरकार की ओर से कई बार रिमाइंडर भेजने के बाद भी हाईकोर्ट से नाम नहीं मिले थे। इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई कि उसे ही अध्यक्षों के लिए आवेदन मांगने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर सरकार को अनुमति दी।
सरकार ने दोनों अध्यक्ष पदों के लिए 31 अक्टूबर तक आवेदन मांगे थे। अंतिम तिथि गुजरने के बावजूद इन पदों के लिए एक भी आवेदन सरकार को नहीं मिला। इससे अचकचाई सरकार ने तय किया है कि इन पदों के लिए दोबारा आवेदन मांगे जाएंगे। इसे लेकर शासन स्तर पर कवायद शुरू हो चुकी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक नए सिरे से आवेदन मांगे जाएंगे। इसके लिए अंतिम तिथि 30 नवंबर तय की जा सकती है।
दरअसल प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति अध्यक्ष नहीं होने से राज्य में निजी एवं व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं के शुल्क निर्धारण का काम लंबे अरसे से लटका हुआ है। इस संबंध में प्रस्ताव लंबित हैं। वहीं शुल्क निर्धारण में आपत्ति को लेकर की जाने वाली अपील की सुनवाई पर भी अपीलीय प्राधिकरण का अध्यक्ष न होने से असर पड़ रहा है। उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत का कहना है कि दोनों ही पदों पर जल्द नियुक्ति के निर्देश दिए गए हैं।