देहरादून। कोरोना संकट के मद्देनजर प्रधानमंत्री, मंत्रियों व सांसदों के वेतन में 30 फीसद कटौती और दो वर्ष के लिए सांसद निधि स्थगित रखने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के बाद उत्तराखंड में इसी तरह के कदम उठाए जाने को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। माना जा रहा है केंद्र की भांति राज्य सरकार भी मुख्यमंत्री, मंत्रियों व विधायकों के साथ ही दायित्वधारियों के वेतन में कटौती का निर्णय ले सकती है। चर्चा है कि आठ अप्रैल को होने वाली कैबिनेट में इस संबंध में विचार हो सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि कोरोना से लडने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने बड़े फैसले लिए हैं।
एक जनप्रतिनिधि और नागरिक होने के नाते वह इसका स्वागत करते हैं। इसके बाद से उत्तराखंड में भी यह चर्चा जोरों पर है कि उत्तराखंड सरकार भी इसी तरह का फैसला ले सकती है। सरकार के आग्रह पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सभी विधायक 15-15 लाख की राशि कोरोना से लडने के मद्देनजर विधायक निधि से उपलब्ध करा चुके है। साथ ही, मुख्यमंत्री राहत कोष में भी योगदान कर रहे हैं। अब सरकार ने केंद्र की तरह फैसला लिया तो मुख्यमंत्री, मंत्री व विधायकों के वेतन में भी कटौती हो सकती है। माना जा रहा कि आठ अप्रैल को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में चर्चा हो सकती है। संपर्क करने पर सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कोरोना से लडने के लिए सरकार हरसंभव कदम उठा रही है। इसके लिए जो भी संभव होगा वह सरकार करेगी। फिर चाहे वह वेतन में कटौती ही क्यों न हो। दूसरी तरफ, राज्यमंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि कैबिनेट में वेतन कटौती का विषय आने की संभावना है।
केंद्र का फैसला जनकल्याणकारी
गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोरोना संकट के मद्देनजर दो अति महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जो प्रशंसनीय और जनकल्याणकारी हैं। सांसद रावत ने कहा कि सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसद कटौती के संदर्भ में अध्यादेश लाने और 2021 तक सांसद निधि अस्थायी तौर पर स्थगित करने संबंधी निर्णय आज की स्थिति को देखते हुए जनहित में कारगर सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा अब प्रत्येक सांसद की दो वर्ष की निधि 10 करोड़ की राशि कोरोना वायरस के कारण उपजे संकट से लडने के लिए स्वास्थ्य संसाधन को जुटाने में दी जाएगी।