हर महीने करोड़ों रुपये की बिजली खरीदने वाला उत्तराखंड अगर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक वाद में मजबूत पैरवी कर ले तो सीधे 1200 मेगावाट बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी। इसके बाद प्रदेश को बाहर से बिजली खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह जानकारी विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने दी। विद्युत लोकपाल सुभाष कुमार ने कहा कि वर्ष 2012 में टीएचडीसी से उत्साहित होने वाली बिजली पर उत्तर प्रदेश के बजाय उत्तराखंड का हक होने संबंधी वाद ऊर्जा सचिव के स्तर से सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एकतरफा निर्णय उत्तराखंड के हक में लिया था,
साथ ही इससे पहले की कानूनी लड़ाई का खर्च बतौर 30 लाख रुपये उत्तराखंड को दिया था। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। उन्होंने कहा कि तथ्यात्मक तौर पर उत्तराखंड का पक्ष मजबूत है। अगर सरकार इस मामले में मजबूत पैरवी करे तो निश्चित तौर पर राज्य को टीएचडीसी के सात पावर प्लांट से करीब 1200 मेगावाट बिजली मिल सकती है।
इन पावर प्लांट से 2025 तक मिलने लगेगी 25 प्रतिशत बिजली
प्रोजेक्ट का नाम – क्षमता – वर्तमान स्थिति
टिहरी पावर प्रोजेक्ट – 1000 मेगावाट – कार्यरत
कोटेश्वर पावर प्रोजेक्ट – 400 मेगावाट – कार्यरत
खुर्जा थर्मल पावर प्लांट – 1320 मेगावाट – 2023
टिहरी पीएसपी – 1000 मेगावाट – 2023
विष्णुगाड़ पीपलकोटि – 444 मेगावाट – 2025
गुजरात विंड प्रोजेक्ट – 113 मेगावाट – 2021
झांसी पावर प्रोजेक्ट – 24 मेगावाट – 2021
कैसे मिलेगा उत्तराखंड को बिजली का हक
टीएचडीसी की 1988-89 में स्थापना हुई थी। पूर्ववर्ती यूपी सरकार में यह प्रावधान था कि जो भी प्रोजेक्ट टीएचडीसी लगाएगा, उसमें 75 प्रतिशत खर्च उसका होगा और 25 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड बनने के बाद दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा हुआ। इसमें यूपी रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2000 के तहत यह प्रावधान किया गया कि राज्य अलग होने के समय जो संपत्ति जहां थी, उसी राज्य के हिस्से में आएगी।
लिहाजा, उत्तराखंड में टीएचडीसी की परियोजनाएं भी आ गई, लेकिन इनके हिस्से की बिजली आज भी यूपी को मिल रही है। राज्य गठन से पहले यूपी ने टीएचडीसी के प्रोजेक्ट्स में 363.67 करोड़ रुपये खर्च किए। जबकि 10 नवंबर 2000 से 31 मार्च 2012 तक राज्य के हिस्से से 923 करोड़ 87 लाख रुपये गए। अगर सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के हक में निर्णय होता है तो उत्तराखंड सरकार, यूपी की ओर से खर्च की गई रकम लौटा सकती है लेकिन बदले में जो बिजली यूपी को दी गई है, उसका पैसा भी ले सकती है।
अगर इतनी बिजली मिलेगी तो प्रदेश को बाहर से बिजली खरीदने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी बातचीत की है। अब वह ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत से भी इस मसले पर बात करेंगे।