देहरादून। संवाददाता। सीबीआई ने आखिरकार उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त के आरोप में मुक़दमा दर्ज कर लिया है। सीबीआई ने साल 2016 में हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर उनकी सरकार गिराने और स्टिंग किए जाने के मामले में त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत, स्टिंग में शामिल टीवी पत्रकार उमेश शर्मा और अन्य अज्ञात लोगों के ख़लिफ़ भी मुक़दमा दर्ज किया गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने पिछले महीने की 30 तारीख को ही सीबीआई को इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करने की छूट दी थी।
आपराधिक षड़यंत्र
सीबीआई की एफ़आईआर में कहा गया है कि 18 मार्च, 2016 को उत्तराखंड विधानसभा में वित्त विधेयक पेश होने के बाद कांग्रेस के बागी विधायक बीजेपी विधायकों के साथ एक चार्टर्ड प्लेन से गुड़गांव पहुंच गए। वहां समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश शर्मा हरक सिंह रावत से मिले और दोनों ने हरीश रावत को फंसाने के लिए षड़यंत्र किया।
हरक सिंह रावत ने उमेश शर्मा को कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलें और कांग्रेस सरकार बचाने के लिए हरक सिंह रावत की ओर से उप मुख्यमंत्री पद, दो विभाग और पैसे की मांग रखें।
भ्रष्टाचार का केस दर्ज
इसके बाद उमेश शर्मा देहरादून एयरपोर्ट के वीआईपी लॉंज में हरीश रावत से मिले और उनके साथ हुई बातचीत अपने मोबाइल फ़ोन से रिकॉर्ड कर ली। सीबीआई की एफ़आईआर में इसके बाद 23 मार्च, 2016 को रिकॉर्ड किए गए वीडियो का ब्यौरा है।
सीबीआई के अनुसार इस वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और समाचार प्लस के सीईओ उमेश कुमार और अन्य अज्ञात लोगों के ख़लिफ़ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुक़दमा दर्ज किया जा रहा है।
बता दें कि इस हाई प्रोफ़ाइल केस में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने राज्यपाल से सीबीआई जांच की मांग की थी। हरीश रावत ने फिर मुख्यमंत्री बनने पर सीबीआई जांच को बंद कर एसआईटी जांच के आदेश दे दिए थे।
कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई जांच तो जारी रही, लेकिन हाईकोर्ट ने कोई भी कार्रवाई करने से पहले कोर्ट की इजाज़त लेने की शर्त लगा दी थी। 30 सितंबर को हाईकोर्ट ने सीबीआई को इस केस में एफ़आई आर की इजाज़त दे दी थी।