हरिद्वार। हरिद्वार तहसील क्षेत्र में करीब 15 मंदिर तोड़ने के हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराने उतरी प्रशासनिक टीम को जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को हरिद्वार के बादशाहपुर में तालाब की भूमि पर अतिक्रमण कर बने रविदास मंदिर को हटाने गये पुलिस प्रशासन के अधिकारियों का लोगों ने घेराव कर दिया।
जिसके बाद बादशाहपुर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। यहां भारी संख्या में पुलिस व पीएसी तैनात है। मौके पर सीओ अभय सिंह, थानाध्यक्ष सुखपाल सिंह मान, एसडीएम हरिद्वार गोपाल सिंह चौहान, तहसीलदार हरिद्वार आशीष घिल्डियाल मौजूद हैं। विरोध करने वालों में बजरंग दल के जिला सह संयोजक जिवेन्द्र तोमर, बादशाहपुर के ग्राम प्रधान जाफिर अली, बसपा नेता इरशाद अली, मोनू राणा, गुलशनव्वर अंसारी, शुभम सैनी आदि हैं।
वहीं जगजीतपुर में फ़ुटबाल ग्राउंड रोड पर भी मंदिर हटाने के विरोध में आसपास के लोगों के साथ हिंदू संगठनों के लोग विरोध में जमा हो गए हैं। बहादराबाद में बैरियर नंबर छह पर तालाब किनारे सरकारी भूमि पर बने मंदिर को तोड़ने से रुकवाने के लिए विधायक सुरेश राठौर, भाजपा नेता व आसपास के लोग जमा हो गए हैं।
बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश पर हरिद्वार तहसील क्षेत्र में बैरागी कैंप, बहादराबाद बैरियर नंबर छह, फेरुपुर, टिबड़ी आदि क्षेत्रों में करीब 15 मंदिर हटने हैं।
मंदिर हटाने के विरोध में आरएसएस का धरना
तालाब की जमीन पर बने हनुमान मंदिर को हटाने से नाराज आरएसएस कार्यकर्ताओं ने धरना शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचे एसडीएम ने उनसे वार्ता कर मंदिर को दूसरी जगह शिफ्ट कराने का आश्वासन दिया। इसके बाद कार्यकर्ता मान गए और धरना समाप्त किया। अब मूर्ति को दूसरी जगह रखने के बाद मंदिर को ध्वस्त किया जाएगा।
प्रमुख सचिव गृह के आदेश के बाद तहसीलदार सुशीला कोठियाल टीम के साथ खेड़ी गांव में दिल्ली-हरिद्वार नेशनल हाईवे के निकट स्थित तालाब की भूमि पर बने हनुमान मंदिर को हटवाने पहुंचीं। मंदिर ध्वस्त करने के लिए जैसे ही जेसीबी बुलाई गई तो आरएसएस के राजकुमार और आलोक पवार सहित अनेक कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मंदिर हटाने का विरोध शुरू करते हुए धरना शुरू कर दिया।
वहीं, तहसीलदार का कहना था कि तालाब की जमीन पर अतिक्रमण कर मंदिर बनाया गया है। लिहाजा कोर्ट के आदेश पर इसे ध्वस्त किया जा रहा है, लेकिन आरएसएस कार्यकर्ता नहीं माने। हंगामा होते देख पुलिस और पीएसी मौके पर पहुंच गई। इसके बाद एसडीएम पूरण सिंह राणा ने आरएसएस के कार्यकर्ताओं को अपने आवास पर बुलाकर बातचीत की।
एसडीएम ने कार्यकर्ताओं को मंदिर दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात कहते हुए उन्हें जमीन देने का आश्वासन दिया। इस पर वे मान गए और मंदिर में रखी हनुमान जी की मूर्ति को दूसरे स्थान पर रखा गया। इसके बाद तहसील प्रशासन की टीम ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की। एसडीएम पूरण सिंह राणा ने बताया कि कोर्ट के आदेशानुसार मंदिर को ध्वस्त करने की कार्रवाई पूरी कर ली गई है। इसकी जानकारी शासन को भी भेजी गई है। उन्होंने बताया कि अब तहसील प्रशासन की ओर से से मंदिर के लिए नई भूमि की तलाश की जा रही है।
बैरागी संतों के मंदिर तोड़ने के नोटिस से बौखलाएं संत
बैरागी कैंप स्थित तीनों वैष्णव अखाड़ों के मंदिरों के साथ अन्य भवनों को हटाए जाने के नोटिस से बैरागी संतों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। बैरागी संतों ने सरकारी सुविधाएं लेने का बहिष्कार करते हुए सरकार से एक करोड़ रुपये भी न लेने की बात कही। रविवार को बैरागी कैंप में श्रीपंच निर्मोही अणी अखाड़ा, श्रीपंच निर्वाणी अणी अखाड़ा, श्रीपंच दिगंबर अणी अखाड़ा के संतों ने पत्रकार वार्ता की।
श्रीपंच निर्मोही अणी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि सरकार वैष्णव संतों के साथ दोगला व्यवहार कर रही है। एक तरफ सरकार बैरागी अखाड़ों के लिए स्थायी निर्माण की बात कर रही है। दूसरी ओर बैरागी अखाड़ों के मंदिरों को तोड़ने के लिए प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर दिया है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि अनादि काल से कुंभ मेले के दौरान बैरागी कैंप क्षेत्र में ही वैष्णव संतों के शिविर स्थापित होते रहे हैं।
बैरागी अणियों ने हमेशा ही कुंभ को सफल बनाने में सहयोग किया है। प्रशासन और सरकार बैरागी संतों की संख्या को कम आंक कर उनका उत्पीड़न करने की कोशिश ना करे, वरना बैरागी संत कठोर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री व प्रशासन के साथ कुंभ मेले को लेकर आयोजित आगामी मीटिंग में तीनों बैरागी अखाड़ों के संत हिस्सा नहीं लेंगे।
श्रीपंच निर्मोही अणी अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव महंत रामशरणदास महाराज ने जूना अखाड़ा के संतों पर निशाना साधा। बैरागी कैंप में अधिकतर स्थायी निर्माण जूना अखाड़े के संतों द्वारा किए गए हैं। वह बताएं कि उनके पास जमीन से जुड़े वैध दस्तावेज कौन सी सरकार ने दिए।
निर्वाणी अणी अखाड़े ने जताया विरोध
श्रीपंच निर्वाणी अणी अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला कार्य को लेकर लगातार प्रशासन बैरागी संतों की उपेक्षा कर रहा है। सरकार द्वारा दी जाने वाली एक करोड़ की धनराशि तीनों बैरागी अखाड़े स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार एक ओर जहां कुंभ के सफल आयोजन की बात करती है। वहीं दूसरी ओर बैरागी संतों की लगातार उपेक्षा व अपमान किया जा रहा है। जिसे अब वैष्णव संप्रदाय बर्दाश्त नहीं करेगा।
दिगंबर अणी अखाड़े के महंत ने भी किया विरोध
श्रीपंच दिगंबर अणी अखाड़े के महंत किशनदास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप की भूमि को तीनों वैष्णव अखाड़ों के लिए आरक्षित किया जाए। साथ ही स्थायी निर्माण कर बैरागियों को उचित सुविधा सरकार प्रदान करे, अन्यथा बैरागी अखाड़े कठोर निर्णय लेने को मजबूर होंगे। इस अवसर पर महंत मोहनदास, महंत रामजीदास, महंत सुखदेव दास, महंत अगस्त दास, महंत सिंटू दास आदि उपस्थित रहे।
बैरागी संतों को धैर्य रखना चाहिए। अखाड़ा परिषद बैरागी कैंप क्षेत्र को बैरागी अखाड़ों के लिए आरक्षित कराने के लिए संकल्पबद्ध है और मुख्यमंत्री से हुई वार्ता में भी उन्होंने इस मुद्दे को रखा था। हर हाल में बैरागी कैंप क्षेत्र की भूमि वैष्णव अखाड़ों के लिए आरक्षित कराई जाएगी। यह भी ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी बैरागी संत को कुंभ मेले के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना ना करना पड़े।
– श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद