देहरादून। आशीष बडोला। सेना केे पूर्व सुबेदार और कारगिल युद्ध लड़ चुके मोहन सिंह रावत को वन अधिकारियों ने घर के बाहर से पकड़ कर जेल में बंद कर दिया। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी लाईसेंस और बंदूक को विभाग ने जब्त कर दिया। मगर आज तक उनका लाईसेंस वापस नहीं मिल सका है। वो कांग्रेस से लेकर भाजपा सरकार के चक्कर काटते हुए थक चुके हैं।
पीड़ित ने हमारे संवाददाता को अपनी व्यथा जहिर करते हुए बताया कि 2002 में वो सेना से नायाब सुबेदार के पद से रिाटयर्ड हो गए थे। कारगिल युद्ध के दौरान श्रीनगर के पास उनके ऊपर चैपहिया वाहन गिर गया था। जिसके बाद से उनका दायना पैर ठीक से काम नहीं करता है। एक दिन झबरावाला, स्थित आवास के बाहर वो बंदूक साफ कर रहे थे। इस बीच किसी ने विभाग के अधिकारियों को शिकार की झूठी सूचना दे डाली। जिस पर विभाग के अधिकारियांें ने उन्हें बिना जांच के घर से बेवजह उठा लिया।
अधिकारियों ने उनके कारगिल योद्धा होने का सम्मान भी नहीं रखा। इतना ही नहीं विभाग के अधिकारियांे ने उन्हें बेवजह जेल में कैद कर दिया, साथ ही उनकी बंदूक और लाईसेंस भी कब्जे में ले लिया। जब वो जेल से छूटे तो उन्होंने विभाग से बंदूक और लाईसंेस वापस मांगा। जिस पर विभाग ने उन्हें सिर्फ बंदूक लौटाई मगर आज-तक लाईसंेस का कही कुछ पता नहीं लग सका है। इस बारे में वो वन मंत्री हरक सिंह रावत से भी कई बार मिल चुके हैं, मगर सिवाय भागा-दौड़ी के उन्हें कुछ मिलता नहीं दिख रहा है।