देहरादून। संवाददाता। साल के दूसरे दिन ही प्रदेश भर के एक लाख बीस हजार राज्य अधिकारी कर्मचारियों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंच के बैनर तले सैकड़ों की संख्या मे देहरादून मे कार्यरत समस्त कार्मिकों ने अपनी मांगों को लेकर लैंसडाउन चैक स्थित धरनास्थल पर सांकेतिक धरना दिया और सरकार को जमकर कोसा। दरअसल कार्मिकों का कहना है कि इससे पूर्व भी समन्वयक मंच के आह्वान पर जनपद के सदस्यों द्वारा बीते 5 जून को सभी जिला मुख्यालयों मे एक दिन का अवकाश लेकर धरना दिया जा चुका है,इस दौरान समन्वयक मंच के प्रांतीय नेतृत्व की सरकार से उच्च स्तरीय वार्ता भी हुई परन्तु लिखित समझौते के बावजूद समस्याओं का निराकरण नही हुआ।
प्रदेशभर के कर्मचारियों ने उग्र चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्दी ही हमारी इन मांगों पर सरकार कोई अमल नहीं करती है तो हमारा पूरा कर्मचारी संगठन एक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा जिसमें की सभी जिम्मेदारी सरकार की होगी कर्मचारियों का कहना है कि हमारी कई बार शासन स्तर पर वार्ता हुई है और हमें आश्वासन भी मिला था कि कैबिनेट में आप का मामला उठाया जाएगा लेकिन तब से लेकर आज कई कैबिनेट बैठक हो चुकी है लेकिन अभी तक हमारी बात किसी भी कैबिनेट बैठक में नहीं उठाई गई है साथ ही कर्मचारियों ने 4 फरवरी को आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मांगे पूरी नहीं हुई तो फिर हमारी हड़ताल आगे बहुत ही बड़े स्तर पर होने वाली है अब ऐसे में देखना होगा कि जहां सरकार कर्मचारी हितों की बात करती है तो वहीं पर देश प्रदेश भर के 1 लाख 20 हजार कर्मचारियों से आखिरकार कैसे निपटती है या फिर नए साल के शुरुआती दिनों से ही सरकार को धरनो और प्रदर्शनों की मार से गुजरना पड़ेगा
मुख्य मांगें-
1-प्रदेश के सभी कार्मिकों को केंद्र के समान समस्त भत्ते दिये जायें।
2-सभी कार्मिकों को अपने पूरे सेवाकाल मे न्यूनतम तीन पदोन्नित अनिवार्य रूप से प्रदान की जाये।
3-यू-हेल्थ स्मार्ट कार्ड की सुविधा केंद्र सरकार की तर्ज पर सेवारत/सेवानिवृत्त कार्मिकों को तत्काल लागू किया जाये।
4-हर्रकारी सेवा मे थिथिलकरण की पूर्ववर्ती व्यवस्था को यथावत लागू किया जाए।
5-1 अक्टूबर 2005 से लागू अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पुरानी पेंशन व्यवस्था शीघ्र बहाल की जाये।
6-स्थानांतरण अधिनियम मे राज्य के कार्मिकों को जिनकी सेवानिवृति को एक वर्ष शेष हो उन्हें सेवानिवृति के आखिरी वर्ष मे उसके इच्छीक स्थान पर अनिवार्य रूप से स्थानांतरित किया जाये।
7-इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता मे गठित वेतन विसंगति समिति द्वारा शासन को प्रेषित रिपोर्ट मे कर्मचारी विरोधी निर्णयों को लागू ना किया जाये