देहरादून। संवाददाता। आधी रात से हड़ताल पर जा रहे रोडवेज कर्मचारियों को मनाने में सरकार सफल रही है। सरकार ने उनकी मांगें मान ली है, जिसके बाद कर्मियों ने फिलहाल अपनी प्रस्तावित हड़ताल को टाल दिया है। आपको बता दें कि अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से कर्मियों की वार्त हुई, जिसके बाद उन्होंने ये फैसला लिया।
दरअसल, कुमाऊं मंडल में रोडवेज के राष्ट्रीयकृत मार्गों पर निजी बस आपरेटरों को संचालन की मंजूरी देने के विरोध में रोडवेज के समस्त कर्मचारी संयुक्त रूप से बेमियादी कार्य बहिष्कार पर जा रहे थे। हड़ताल को लेकर सरकार की ओर से परिवहन सचिव ने गत 12 जनवरी को उत्तराखंड रोडवेज अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता भी की थी लेकिन वार्ता विफल रही। जिसके बाद उन्होंने मंगलवार रात बारह बजे से समस्त बसों का संचालन बंद करने का एलान किया।
सामूहिक कार्य बहिष्कार के संबंध में देहरादून मंडल समेत रोडवेज के तीनों मंडलों काठगोदाम और टनकपुर में संयुक्त मोर्चा की बैठकें हुईं। यहां देहरादून में आइएसबीटी परिसर में आयोजित बैठक में कर्मचारियों ने रोडवेज के रूट पर निजी बस संचालन का शासनादेश निरस्त करने और निगम के बकाया 80 करोड़ रुपये की धनराशि तत्काल जारी करने की मांग रखी। बैठक में संयुक्त मोर्चा के घटक उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रांत महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि सरकार रोडवेज को खत्म करना चाह रही है। इसलिए ऐसी नीतियां लाई जा रही, जिससे रोडवेज ठप पड़ जाए।
कुमाऊं में रोडवेज के रूटों पर निजी बसों को चलाने का फैसला गलत है। इससे रोडवेज को नुकसान होगा। पहले से ही परिवहन निगम घाटे में चल रहा है और सरकार इसके सुधार के बजाए इसे गर्त में ले जा रही।
संयुक्त मोर्चा संयोजक विपिन बिजल्वाण ने बताया कि पिछले दिनों परिवहन सचिव शैलेश बगौली के साथ वार्ता हुई थी। सिर्फ दो मांगे रखी गई थी कि रोडवेज के बकाये का भुगतान जल्द किया जाए और निजी बसों के संचालन के प्रस्ताव को निरस्त करें, पर परिवहन सचिव ने हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में रोडवेज कर्मचारियों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं। इस मौके पर दिनेश पंत, सहदेव सिंह, रामकिशन व दयाकिशन पाठक, भोला जोशी आदि भी मौजूद रहे।