3000 कर्मचारियों की वेतन कटौती पर रोडवेज कर्मचारी यूनियन आक्रोशित, प्रबंधन दे रहा इस बात का हवाला

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देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर में बस संचालन न होने का हवाला देकर तकरीबन 3000 संविदा और विशेष श्रेणी कार्मिकों को न्यूनतम वेतन देने के रोडवेज प्रबंधन के आदेश पर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के तेवर तल्ख हो गए हैं। यूनियन ने प्रबंध निदेशक को अपना मांगपत्र देकर चालक-परिचालकों को गुजरे छह महीने में किए औसत किमी के आधार पर वेतन देने की मांग की है। यह चेतावनी भी दी है कि अगर प्रबंधन अपने निर्णय को वापस नहीं लेगा तो यूनियन इस मामले को हाईकोर्ट ले जाएगी।

कोरोना काल में परिवहन निगम प्रबंधन ने पिछले साल भी इसी तरह से न्यूनतम वेतन प्रणाली पर वेतन दिया था। संविदा-विशेष श्रेणी कर्मचारियों को मई और जून का वेतन पिछले साल की तरह न्यूनतम वेतन प्रणाली की व्यवस्था पर देने का आदेश महाप्रबंधक संचालन की तरफ से दिया गया है। प्रबंधन ने कोरोना संक्रमण की दर दोबारा बढ़ने पर इस साल मई-जून में बस संचालन ना होने का हवाला देकर श्रम विभाग के तहत तय अधिकतम वेतन 9484 रुपये देने का निर्णय लिया है। यानी किसी भी संविदा व विशेष श्रेणी कर्मचारी का मई-जून का वेतन 9484 रुपये से अधिक नहीं होगा, अलबत्ता इससे कम जरूर हो सकता है। हालांकि, नियमित कर्मियों को पूरा वेतन व भत्ते देने के आदेश दिए गए हैं। उन्हें सिर्फ वर्दी व प्रदूषण भत्ता नहीं मिलेगा। कर्मचारियों का वेतन कम कर देने से रोडवेज प्रबंधन को करीब डेढ़ करोड़ रुपये की बचत होगी।

इस फैसले के खिलाफ प्रबंध निदेशक डा. नीरज खैरवाल को कर्मचारी यूनियन ने पत्र देकर नाराजगी जताई है। यूनियन के प्रांतीय महामंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि 80 फीसद बसों का संचालन संविदा व विशेष श्रेणी जबकि बाकी का नियमित कर्मी करते हैं। बावजूद इसके प्रबंधन संविदा व विशेष श्रेणी के साथ अन्याय कर रहा। प्रबंधन की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा दिया हुआ है कि संविदा और विशेष श्रेणी कर्मचारियों को ‘समान काम समान वेतन’ प्रणाली पर नियमित की तरह वेतन दिया जा रहा। ऐसे में न्यूनतम वेतन देना हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे की अवहेलना भी है।

 

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