देहरादून। संवाददाता। सरकार की सख्ती के बावजूद भी कार्य बहिष्कार पर अड़े राज्य के ढाई लाख कर्मचारी आर पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके है। हालांकि कर्मचारियों के सख्त रूख को देखते हुए आज अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कर्मचारी नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया है। इस वार्ता में अगर कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं निकल पाता है तो कल कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे। वहीं सरकार जो अवकाश पर जाने वाले कर्मचारियों को न्यायालय की अवमानना मानते हुए उनके वेतन काटने की बात कह चुकी है। लेकिन चुनाव के मद्देनजर सरकार इन आंदोलित कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा जैसी कार्यवाही करने से भी बच रही है।
कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर 31 जनवरी को कार्य बहिष्कार का एलान कर चुके है। जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह का कहना है कि वह राज्य को कतई भी हड़ताली प्रदेश नहीं बनने देंगे। उनका कहना है कि कर्मचारियों का बात बात पर हड़ताल पर चले जाने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है और न हड़ताल किसी समस्या का समाधान है। बीते कल हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस जारी करने और नो वर्क नो पे के आदेश देने के बाद भड़के इन कर्मचारियों ने साफ कहा था कि वह इन धमकियों से डरने वाले नहीं है। तथा सरकार अगर उनकी मांगों को नहीं मानती है तो कल सभी कर्मचारी सामुहिक अवकाश व कार्य बहिष्कार करेंगे। इन कर्मचारियों द्वारा 4 फरवरी को महारैली के आयोजन की भी घोषणा की गयी है।
यह पहला मर्तबा है कि जब सभी कर्मचारी संघ एक मंच पर एक मत होकर एक साथ सामूहिक अवकाश पर जाने वाले है। अगर राज्य में ढाई लाख कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाते है तो समूचा राज काज ठप हो जायेगा। अन्दर की खबर यह है कि सरकार भले ही इन कर्मचारियों के खिलाफ ऊपर से सख्ती दिखा रही हो लेकिन वह इन्हे नाराज नहीं करना चाहती है। क्यों कि चुनाव सर पर है। यही कारण है कि सरकार कोई बीच का रास्ता ढूंढ रही है। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ कर्मचारी नेताओं की वार्ता समाचार लिखे जाने तक जारी थी।
सरकार की कोशिश है कि वह किसी तरह कर्मचारियों के इस आंदोलन को टाल सके। यही कारण है कि सरकार उन्हे मनाने में जुटी हुई है।देहरादून। सरकार की सख्ती के बावजूद भी कार्य बहिष्कार पर अड़े राज्य के ढाई लाख कर्मचारी आर पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके है। हालांकि कर्मचारियों के सख्त रूख को देखते हुए आज अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कर्मचारी नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया है। इस वार्ता में अगर कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं निकल पाता है तो कल कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे। वहीं सरकार जो अवकाश पर जाने वाले कर्मचारियों को न्यायालय की अवमानना मानते हुए उनके वेतन काटने की बात कह चुकी है। लेकिन चुनाव के मद्देनजर सरकार इन आंदोलित कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा जैसी कार्यवाही करने से भी बच रही है।
कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर 31 जनवरी को कार्य बहिष्कार का एलान कर चुके है। जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह का कहना है कि वह राज्य को कतई भी हड़ताली प्रदेश नहीं बनने देंगे। उनका कहना है कि कर्मचारियों का बात बात पर हड़ताल पर चले जाने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है और न हड़ताल किसी समस्या का समाधान है। बीते कल हड़ताली कर्मचारियों को नोटिस जारी करने और नो वर्क नो पे के आदेश देने के बाद भड़के इन कर्मचारियों ने साफ कहा था कि वह इन धमकियों से डरने वाले नहीं है। तथा सरकार अगर उनकी मांगों को नहीं मानती है तो कल सभी कर्मचारी सामुहिक अवकाश व कार्य बहिष्कार करेंगे। इन कर्मचारियों द्वारा 4 फरवरी को महारैली के आयोजन की भी घोषणा की गयी है।
यह पहला मर्तबा है कि जब सभी कर्मचारी संघ एक मंच पर एक मत होकर एक साथ सामूहिक अवकाश पर जाने वाले है। अगर राज्य में ढाई लाख कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाते है तो समूचा राज काज ठप हो जायेगा। अन्दर की खबर यह है कि सरकार भले ही इन कर्मचारियों के खिलाफ ऊपर से सख्ती दिखा रही हो लेकिन वह इन्हे नाराज नहीं करना चाहती है। क्यों कि चुनाव सर पर है। यही कारण है कि सरकार कोई बीच का रास्ता ढूंढ रही है। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ कर्मचारी नेताओं की वार्ता समाचार लिखे जाने तक जारी थी। सरकार की कोशिश है कि वह किसी तरह कर्मचारियों के इस आंदोलन को टाल सके। यही कारण है कि सरकार उन्हे मनाने में जुटी हुई है।