- भौतिक चकाचौंध से दूर संघ कार्यालय में ही रहा डेरा।
- डा. मोहन भागवत सादगी की मिसाल पेश कर साहित्यकारों, लोक कलाकार, शिक्षाविदों के साथ-साथ स्वयंसेवकों के दिलों को छू गये।
- अपने चार दिवसीय प्रवास में समाज के विभिन्न वगरे की विभूतियों से चर्चा व मंथन के बीच संघ की पृष्ठभूमि से भी अवगत कराया।
- वहीं संघ की सबसे छोटी इकाई शाखा के स्वयंसेवकों से भी रूबरू हुए।
देहरादून : राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में चार दिनों के लंबे प्रवास पर रहे। उन्होने प्रांत कार्यालय 15 तिलक रोड को ही अपना मुकाम बनाया तथा मुख्य शिक्षक से लेकर समाज के विभिन्न तबकों के साथ मुलाक़ात कर देश व समाज के बारे में अनेक मुद्दों पर चर्चा की। संघ प्रमुख अपने चार दिवसीय प्रवास के तहत चार फरवरी की रात्रि दून पहुंचे थे तथा प्रवास के अंतिम दिन बीते शुक्रवार को प्रान्तीय कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ बैठक हुई जिसमें सरसंघ चालक डा. मोहन भागवत ने संघ कार्य को और अधिक विस्तार देने समेत अनेक मुद्दों पर चर्चा की। बैठक के बाद स्वयंसेवकों द्वारा घर से लाये गया भोजन का करने के बाद आरएसएस प्रमुख वापस दिल्ली लौट गये।
आरएसएस प्रमुख डा. मोहन भागवत सादगी की मिसाल पेश कर साहित्यकारों, लोक कलाकार, शिक्षाविदों के साथ-साथ स्वयंसेवकों के दिलों को छू गये। अपने चार दिवसीय प्रवास में समाज के विभिन्न वगरे की विभूतियों से चर्चा व मंथन के बीच संघ की पृष्ठभूमि से भी अवगत कराया। वहीं संघ की सबसे छोटी इकाई शाखा के स्वयंसेवकों से भी रूबरू हुए।
देश की बड़ी शख्सियत होने के बाद भी आरएसएस प्रमुख डा. मोहन भागवत चार दिवसीय प्रवास मुख्य रूप से तिलक रोड स्थित संघ कार्यालय में ही सिमटा रहा। चाहे पूर्व मुख्य सचिव हो या फिर विविद्यालय के कुलपति। सभी के साथ संघ कार्यालय में ही वार्ता व मंथन का दौर चला। अपने चार दिवसीय प्रवास में आरएसएस प्रमुख समाज के प्रबुद्ध जनों से देश व समाज से जुड़े मुद्दों पर र्चचा के साथ ही संघ की पृष्ठभूमि पर भी खुलकर बात की।
आरएसएस प्रमुख के साथ भिन्न बैठकों में शामिल होने के बाद संघ की छवि को लेकर भी लोगों के नजरिये में बदलाव आया। आरएसएस प्रमुख डा. मोहन भागवत ने अपने चार दिवसीय प्रवास में समाज के हरेक वर्ग के साथ वार्ता की। वहीं हर दिन स्वयंसेवकों का भी मार्ग दर्शन किया। उन्होंने शाखा के मुख्य शिक्षक से लेकर प्रान्तीय स्तर तक के पदाधिकारियों से संघ कार्य पर खुल कर वात की और उनकी कठिनाइयों को सुनने के साथ ही मार्गदर्शन भी किया।
अपने प्रवास के दौरान बैठकों व वार्ताओं के बीच समय मिलने पर आरएसएस प्रमुख कुछ स्वयंसेवकों के घरों में जाकर भोजन भी किया। डा. भागवत ने सात फरवरी को उत्तरांचल दैवीय आपदा पीड़ित सहायता समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष विनोद नौटियाल के नेहरु कालोनी आवास पर जाकर दोपहर का भोजन किया। साथ ही बड़े के साथ-साथ बच्चों से भी खुलकर बात की। इसी कड़ी में छह फरवरी को विजय पार्क स्थित महानगर संघ चालक आजाद रावत के घर एवं पांच फरवरी को लक्ष्मण चौक स्थित महानगर शारीरिक प्रमुख के घर में भोजन किया और प्रवास के अंतिम दिन शुक्रवार को स्वयंसेवकों द्वारा घरों से लाया गया भोजन किया।
पूर्व सूचना आयुक्त व उत्तरांचल दैवीय आपदा पीड़ित सहायता समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष विनोद नौटियाल ने कहा कि सरसंघचालक का मार्गदर्शन मिलना स्वयंसेवकों के लिए गर्व की बात है। ससंघचालक के हर विषय में समाज व देश का चिंतन रहता है। सरसंघचालक से रूबरू होने के बाद हर स्वयंसेवक में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। बड़ी शख्सिय होने व जेड प्लस सुरक्षा मिलने के बाद भी तिलक रोड स्थित निवासियों को डा. मोहन भागवत की मौजूदगी से कोई परेशानी नहीं हुई। प्रशासन द्वारा भले ही सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे, लेकिन सभी गतिविधियां सादगी व अनुशासन से चलने के कारण तिलक रोड से आने-जाने वाले एवं अगल-बगल रहने वालों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा।