देहरादून। अटल आयुष्मान योजना में सरकारी अस्पतालों से मरीजों को रेफर कर सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में इलाज कराने का खेल पकड़ में आया है। सरकारी अस्पतालों में संविदा के आधार पर सेवाएं दे रहे चिकित्सक दूसरे निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। रेफर करने के बाद उन्हीं मरीजों का निजी अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने भी संविदा पर तैनात डॉक्टरों के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं रखी है, जिससे कि वे किसी अन्य निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं न दे सकें। यही वजह है कि निजी अस्पतालों व संविदा चिकित्सकों की मिलीभगत से आयुष्मान योजना में गड़बड़ियां की जा रही है।
प्रदेश के 23 लाख परिवारों को पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा देने के लिए 25 दिसंबर 2018 को अटल आयुष्मान योजना शुरू की गई। लेकिन पांच महीने में ही मरीजों के इलाज में गड़बड़ियां सामने आने लगी। साधारण बीमारी वाले मरीजों को भी रेफर कर निजी अस्पतालों ने इमरजेंसी भर्ती किया। सबसे खास बात यह है कि जिन सरकारी अस्पतालों से मरीजों को रेफर किया गया है। वहां संविदा पर तैनात चिकित्सक ों ने उन निजी अस्पतालों के लिए मरीजों को रेफर किया, जहां वे अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
ऊधमसिंह नगर जिला के राजकीय चिकित्सालय काशीपुर और हरिद्वार जिला के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रायशी में स्वास्थ्य विभाग ने इस तरह की गड़बड़ियों का खुलासा किया है। संविदा डॉक्टर सरकार से भी वेतन ले रहे हैं और निजी अस्पतालों में भी सेवाएं देकर कमाई कर रहे हैं। संविदा डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए विभाग ने ऐसा कोई नियम नहीं बनाया है कि वे सिर्फ सरकारी संस्थानों में ही सेवाएं दे सकते हैं। आयुष्मान योजना में गड़बड़ी सामने आने पर विभाग ने निजी अस्पतालों को सूची से बाहर कर जांच तो बैठा दी है। लेकिन निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत करने वाले डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
संविदा पर तैनात चिकित्सक ड्यूटी आवर्स पर किसी अन्य संस्थान में सेवाएं नहीं दे सकते हैं। यदि किसी संविदा डॉक्टर ने खुद को निजी अस्पताल में 24 घंटे सेवाएं देने वाला दर्शाया है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
– डा. रविंद्र थपलियाल, स्वास्थ्य महानिदेशक