राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं पर लालफीताशाही का ‘ब्रेक’

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देहरादून। केंद्र पोषित योजनाओं में भी उत्तराखंड की लालफीताशाही हावी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की योजनाओं के बजट की फाइलें भी यहां महीनों तक लटकी रहती हैं। हाल ही में आई नीति आयोग की रिपोर्ट में बात सामने आई है कि योजनाओं के लिए राज्य से बजट जारी होने में साढ़े तीन माह का वक्त लग रहा है। इसके चलते लगातार योजनाएं पिछड़ भी रही हैं। जबकि देश के कई राज्य इसमें लगातार सुधार की ओर हैं और वहां इस प्रक्रिया को तत्काल तक लाने का प्रयास जारी है।

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में वर्ष 2015-16 में एनएचएम की योजनाओं के लिए फंड जारी करने का औसत समय 27 दिन था। मसलन, यदि कोई योजना शुरू होती है तो उसे क्रियान्वयन करने वाली एजेंसी को पैसा इस अवधि में ट्रांसफर कर दिया जाता था। इसे और सुधारने की जरूरत थी, लेकिन हालात और ज्यादा बिगड़ गए। वर्ष 2017-18 के दौरान यह समय बढ़कर 109 दिन से भी ज्यादा का हो गया। कई योजनाओं में क्रियान्वयन करने वाली एजेंसियों को पैसा जारी करने में छह-छह माह का समय भी लगता है। इस मामले में देश के 21 बड़े राज्यों में उत्तराखंड का नंबर 16वां है।

हर साल मिलते हैं लगभग 450 करोड़
एनएचएम की योजनाओं के लिए प्रदेश को हर साल केंद्र सरकार से लगभग 450 करोड़ रुपये मिलते हैं। वर्ष 2015-16 में 375 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि इससे अगले वर्ष 2016-17 में इसे बढ़ाकर 392 करोड़ रुपये कर दिया गया। जहां तक बजट के खर्च करने की बात है तो यह अनिवार्य रूप से खर्च किया जाता है। यानी देर भले ही हो लेकिन पूरा बजट योजनाओं पर खर्च करना होता है।

बाकी राज्यों से नहीं ली सीख
इस सूची में तेलंगाना देश के 21 बड़े राज्यों में पहले नंबर है। सबसे बड़ा सुधार भी इसी राज्य में हुआ है। वर्ष 2015-16 में इस राज्य में राज्य कोषागार से एजेंसियों को पैसा जारी होने में आठ माह तक का समय लगता था, लेकिन 2017-18 में वहां के सिस्टम में जबरदस्त सुधार हुआ और इसे सेम डे ट्रांसफर पर ले आए। इस लिस्ट में लगभग सात राज्य ऐसे हैं जिन्होंने अपने इस औसत समय में सुधार किया है।

एनएचएम की प्रमुख योजनाएं

– राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण
– राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम
– राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम
– राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम
– व्यापक टीकाकरण कार्यक्रम
– राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम
– एचआईवी परामर्श व जांच केंद्र
– यौन रोग नियंत्रण क्लीनिक
– रक्त सुरक्षा कार्यक्रम
– सामान्य के लिए यूनिवर्सल स्क्रीनिंग
– राष्ट्रीय ओरल हेल्थ प्रोग्राम

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