सोलर प्लांट घोटाले के चलते केंद्र की योजना का जनता को नहीं मिल सका लाभ

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देहरादून। संवाददाता। उत्तराखंड में ऊर्जा के नाम पर कैसे अधिकारी मौज कर रहे हैं जिसकी बानगी राज्य के उरेडा महकमे में देखने को मिलती है। दुख की बात ये है कि इसकी सजा आज आम जनता को भुगतनी पड़ रही है। केंद्र सरकार ने राज्य को ऊर्जा प्रदेश बनाने और यहां के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए राज्य में रूफ टॉप सोलर प्लांट योजना दी। इस योजना में 70 फीसदी की सब्सिडी राज्य के लोगों को मिलती थी, लेकिन राज्य में हुए सोलर प्लांट घोटाले के चलते अब केंद्र की मिनस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी ने उत्तराखंड में योजना को ही बंद कर दिया। यही नहीं, अभी तक जिन लोगों को सब्सिडी बांटी गयी थी, उसको भी वापस लेने के लिए राज्य सरकार को लेटर जारी किया है।

सरकार की ये थी योजना
दरअसल, केंद्र सरकार ने राज्य को ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए सोलर प्लांट से बिजली उत्पादन के लिए सोलर रूफ टॉप योजना दी। योजना के तहत राज्य में पहले आओ पहले पाओ योजना के अंतर्गत उरेडा विभाग ने विज्ञप्ति निकाली, जिसमें राज्य वासियों को सोलर प्लान पर करीब 70 फीसदी तक सब्सिडी मिलनी थी। इस प्लांट के जरिये राज्य में रोजगार के नए आयाम भी मिलने थे, लेकिन सब्सिडी और टैरिफ के चलते उरेडा के अधिकारियों ने ऐसा खेल खेला कि जिस 500 किलोवाट के प्लांट को घरातल पर लगने और कमीशन होने में करीब दो माह का समय लगता है वो प्लांट मात्र दो दिनों में बिजली उत्पादन करने लगा।

इस कारण सरकार ने खींचे कदम
योजना के तहत सौर ऊर्जा प्लांट घर की छत या बंजर जमीन पर लगने थे, लेकिन कृषि भूमि पर ही प्लांट लगा दिए गए। ये 93 सौर ऊर्जा प्लांट आम जनता के खाते में जाने थे और अधिकारियों ने उन्हें अपने चहेतों को दे दिया। जबकि इन पर मिलने वाली 70 फीसदी की सब्सिडी की लूट और टैरिफ के चलते सभी अधिकारी डकार गए या चहेतों ने कमा ली। इस पर केंद्र की मिनस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी ने राज्य के 11 सोलर प्लांटों पर जांच की, जिसमें सभी के प्लांट में खेल दिखा। इस पर मिनस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी ने राज्य को मिलने वाली सब्सिडी पर रोक लगाने के साथ योजना को बंद कर दिया। साथ ही जिन प्लानों को सब्सिडी गलत जारी हुई है, उसे तुरंत वापस जमा करने के आदेश भी जारी किये। इसी वजह से राज्य वासियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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