देहरादून। संवाददाता। वनाधिकार आंदोलन का अगला मुकाम 25 अगस्त को राजाजी राष्ट्रीय पार्क का गैण्डी ख़ता क्षेत्र है। अपने वन अधिकारों और पुश्तैनी हक़कृहकूकों को हासिल करने और उनकी रक्षा के लिए जन भागीदारी ज़रूरी है।
प्रदेश में वनाधिकार आंदोलन से जुड़े पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बताया कि रविवार को सुबह 10.30 बजे गैण्डी खता क्षेत्र आंदोलन का अगला मुकाम होगा। उन्होने बताया कि वनाधिकार आंदोलन मुख्य रूप से इन बिन्दुओं को लेकर चलाया जा रहा है। जिसमें उत्तराखण्ड को वनवासी प्रदेश घोषित कर उत्तराखंडियों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाये। उन्होने कहा कि दिल्ली की सरकार उत्तराखण्ड का पानी दिल्ली की जनता को फ्री में दे सकती है तो उत्तराखण्ड सरकार को भी जनता को निशुल्क पानी दिया जाना चाहिए। हमारे सारे ईंधन के कार्य जंगल से ही पूरे होते थे, इसलिए 1 गैस सिलेंडर हर महीने निशुल्क मिलना हमारा अधिकार है।
अपना घर बनाने के लिए हमे निशुल्क पत्थर बजरी लकड़ी आदि मिलना चाहिए तथा दिल्ली की तरह 200 यूनिट बिजली भी निशुल्क मिले। युवाओं के रोजगार के लिए उत्तराखण्ड में उगने वाली जड़ीकृबूटियों के दोहन का अधिकार स्थानीय समुदाय को दिया जाए। यदि कोई जंगली जानवर किसी व्यक्ति को विकलांग कर देता है या मार देता है तो सरकार को 25 लाख रु मुआवजा व पक्की सरकारी नौकरी देनी चाहिए। जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान पर सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से 1500 रु प्रति नाली के हिसाब से क्षतिपूर्ति दी जाए। वन अधिकार अधिनियम 2006 को उत्तराखण्ड में लागू किया जाए। और उत्तराखण्ड को प्रति वर्ष 10 हजार करोड़ ग्रीन बोनस दिया जाए। तिलाड़ी काण्ड के शहीदों के सम्मान में 30 मई को वन अधिकार दिवस घोषित किया जाए।