नया मोटर वाहन एक्ट बढ़ा सकता है विक्रम चालकों की दिक्कत

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देहरादून। संवाददाता। नये मोटर वाहन एक्ट के तहत वाहन स्वामी के पास ड्राईविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, इंश्योरेंस के साथ पोल्यूशन सर्टिफिकेट को भी अनिवार्य किया गया है तथा इसके लिए भारी भरकम जुर्माना भी तय किया गया है। दून की सड़कों पर दौड़ने वाले हजारोें विक्रम वाहन, जिनमें से अधिकांश पुराने व खटारा है वह पाल्यूशन की इस लक्ष्मण रेखा को कैसे पार कर पायेंगे? यह एक अहम सवाल है।

उत्तराखण्ड परिवहन विभाग व सरकार ने अभी नये मोटर वाहन एक्ट को लागू नहीं किया है तथा कंपाउंडिग का प्रस्ताव तैयार करने पर माथा पच्ची चल रही है। लेकिन देर सवेर नये एक्ट को लागू किया ही जाना है। खास बात यह है कि भारी भरकम चालान की व्यवस्था वाले इस नये एक्ट को अगर ईमानदारी से लागू किया जाये तो दून की सड़कों पर दौड़ने वाली सिटी बसें और विक्रम वाहनों का क्या होगा? जहरीला धुंआ उगलने वाले इन वाहनों में 80 फीसदी ऐसे है जो पोल्यूशन टेस्ट मेें फेल हो जायेगें। तब क्या इन सभी वाहनों को सड़कों से हटा लिया जायेगा?

नये मोटर वाहन एक्ट को लेकर इन दिनों वाहन चालकों में भारी बेचैनी का माहौल है तथा वह अपने वाहनों के कागजात दुरस्त कराने मेें जुटे हुए है। पोल्यूशन सर्टिफिकेट लेने के लिए वाहनों की लम्बी लाइनें लगी हुई है। वाहनों की भीड़ भाड़ का लाभ इन पोल्यूशन चैकिंग सेन्टरों द्वारा भरपूर उठाया जा रहा है। सर्टिफिकेट के लिए 150 से 200 रूपये तक वसूले जा रहे है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन सेन्टरों पर जंहा बिना टेस्ट किये ही सर्टीफिकेट दिये जा रहे है वहीं सभी वाहनों को फिट पोल्यूशन सर्टिफिकेट दिया जाना भी यह बताता है कि यह सर्टिफिकेट सिर्फ एक औपचारिकता भर है। एक अन्य खास बात यह है कि यातायात पुलिस जो पोल्यूशन को लेकर चालान काटने का अधिकार रखती है उसके पास पोल्यूशन को मापने का कोई यंत्र नहीं है। वह सिर्फ धुंआ फेकने को ही इसका आधार मानते है।

सवाल यह है कि राजधानी दून की सड़कों पर पोल्यूशन फैलाने वाले इन खटारा विक्रमों व सिटी बसों पर एक्ट लागू होने पर क्या कार्यवाही होगी। क्या यह औपचारिकता प्रमाण लेकर सड़कों पर दौड़ते रहेगें या दून की सड़कों पर से इन्हे बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेगा।

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