जब हिमालय बचेगा तभी भविष्य बचेगा- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र

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देहरादून। संवाददाता। आज हिमालय दिवस पर एक बार फिर हम सभी को हिमालय की सुरक्षा का संकल्प लेने की जरूरत है। क्योंकि हिमालय बचेगा तभी हमारी भावी पीढ़ियों और राष्ट्र का भविष्य बचेगा।

यह बात आज मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डूंगा हाऊस में आयोजित हिमालय दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए कही। सीएम ने कहा कि हिमालय हमें प्रत्यक्ष और परोक्ष में क्याकृक्या देता है? इसका अनुमान भी नहीं लगया जा सकता है। वह हिमालय ही है जिससे हमें हमारी जरूरत का 65 फीसदी पानी मिलता है जिस जल के बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है। उस जल का प्रमुख स्रोत हिमालय ही है। उन्होने कहा कि हिमालय की सुरक्षा किसी एक आदमी की जिम्मेदारी नहीं है।

हिमालय की सुरक्षा की हम सभी की जिम्मेदारी है। ग्लोबल वार्मिगं के कारण ग्लेशियर का दायरा सिकुड़ रहा है। पर्यावरण सुरक्षा के प्रति आज हर आदमी को जागरूक होने की जरूरत है। हममे से किसी को भी ऐसी वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जिससे प्रदुषण फैलता है। उन्होने कहा कि पर्यावरण के लिए पालीथीन का प्रयोग सबसे घातक है। उन्होने सभी नागरिकों व उत्तराखण्ड आने वाले पर्यटकों से पालीथीन का इस्तेमाल न करने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अधिक से अधिक वृक्षों का रोपण करके ही पर्यावरण को बचा सकते है। इस अवसर पर पद्म श्री अनिल जोशी ने कहा कि जब तक हिमालय के संरक्षण को एक आंदोलन नहीं बनाया जायेगा तब तक हिमालय की सुरक्षा संभव नहीं है।

उन्होने हिमालय दिवस को एक पर्व के रूप में मनाने तथा इसे एक आंदोलन बनाने की अपील की है। इस अवसर पर कार्यक्रम में मौजूद मानव संसाधन मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री डा. निशंक ने भी अपने विचार रखे तथा गंगा और हिमालय को भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा कि इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरे समाज की है। कार्यक्रम में उपस्थित परमार्थ धाम ऋषिकेश के संत स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि हमारी भावी पीढ़ियों का भविष्य गंगा और हिमालय के संरक्षण में ही सुरक्षित है। इस अवसर पर उन्होने छात्र छात्राओं द्वारा बनाये गये प्रोजेक्ट का अवलोकन किया। उपस्थित सभी लोगों ने हिमालय के संरक्षण का संकल्प भी लिया।। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं भी उपस्थित रहे।

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