देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून के अजय कुमार की गुहार सुन ली है और अब सुसवा नदी का उद्धार जल्द शुरू हो जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने इंटरसेप्शन एंड डाइवर्जन (आईएंडडी) और एसटीपी की परियोजना को मंजूरी दे दी है।
दूधली निवासी अजय कुमार ने पीएमओ पहुंचकर सुसवा नदी की दुर्दशा बयां की थी। उन्होंने पीएमओ को सौंपे पत्र में बताया कि सुसवा नदी आज केवल रिस्पना और बिंदाल की गंदगी गंगा तक पहुंचाने का माध्यम बनकर रह गई है। इस वजह से एक ओर जहां नमामि गंगे अभियान को पलीता लग रहा है, वहीं सुसवा के गंदे पानी की वजह से क्षेत्रवासियों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। अजय के इस पत्र का संज्ञान लेते हुए पीएमओ ने सुसवा के लिए विशेष परियोजना आईएंडडी और एसटीपी को मंजूरी दी है। इस परियोजना के तहत सुसवा का 100 प्रतिशत पानी शुद्ध करने की योजना बनाई गई है।
कभी तैरती थीं मछलियां, आज बह रही गंदगी
सुसवा नदी की कभी अपनी अलग पहचान थीं। इसके पानी की शुद्धता इतनी थी कि इसमें मछलियां तैरती थी। इसके पानी की वजह से दूधली क्षेत्र की पहचान विश्व प्रसिद्ध बासमती के लिए थीं। दूर-दूर से लोग मछली पकड़ने आते थे। आज यहां गंदगी बह रही है। नदी का पानी नाले जैसा काला हो गया है।
राजाजी पार्क के जानवरों को भी खतरा
सुसवा नदी के प्रदूषित पानी से राजाजी टाइगर रिजर्व के जानवरों को भी खतरा है। यह नदी राजाजी टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है। अजय ने अपने पत्र के माध्यम से आशंका जताई है कि प्रदूषित जल पीने की वजह से टाइगर रिजर्व के जानवर भी गंभीर बीमार हो सकते हैं।
आसन से निकलती है सुसवा
सुसवा नदी आसारोड़ी के पास स्थित आसन सोर्स से निकलती है। इस नदी में मोथरोवाला पहुंचने पर रिस्पना और बिंदाल मिल जाती है। इसके बाद नदी दूधली होते हुए डोईवाला तक जाती है। डोईवाला में यह नदी सोंग नदी में मिल जाती है। यह नदी आगे जाकर रायवाला में गंगा में मिल जाती है।