देहरादून। दिवाली के आसपास बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का करंट लग सकता है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग यूपीसीएल की पिटीशन पर सुनवाई करने के बाद अब मंथन में जुट गया है।
यूपीसीएल ने अपना घाटा पाटने के लिए सभी श्रेणियों की विद्युत दरों में औसतन 8.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी की मांग की है। आयोग ने यदि निगम की मांग के अनुसार विद्युत दरों का निर्धारण किया तो घरेलू से लेकर व्यावसायिक और औद्योगिक बिजली की दरों के दाम बढ़ जाएंगे।
बहरहाल, गेंद विद्युत नियामक आयोग के पाले में है। आयोग के एक्ट के हिसाब से गैस और कोयला आधारित विद्युत को छोड़कर मध्य सत्र में बिजली की दरें बढ़ाने की अनुमति देने का प्रावधान नहीं है। यदि आयोग वित्तीय वर्ष के मध्य में ऐसा कोई फैसला लेता है तो राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार होगा जब बिजली की दरों में वृद्धि होगी।
औसतन 8.99 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव
श्रेणी वर्तमान दरें प्रस्तावित दरें
घरेलू 4.23 4.60
अघरेलू 6..10 6.64
सरकारी 5.45 5.93
एलटी उद्योग 5.76 6.27
एचटी उद्योग 5.79 6.31
सुनवाई में बढ़ोतरी का विरोध
यूपीसीएल की पिटीशन पर विद्युत नियामक आयोग ने सुनवाई रखी। इस सुनवाई में शामिल प्रतिनिधियों ने बढ़ोतरी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आयोग के नियमों और परिनियमों में मध्य सत्र में बिजली बढ़ाने का प्रावधान नहीं है।
यूपीसीएल का तर्क
यूपीसीएल का तर्क है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में आयोग ने 5,482 करोड़ रुपये की बिजली खरीदने की अनुमति दी। लेकिन उसे बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए 5,875 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। इस तरह उस पर 441 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा।
आयोग ने औसतन 3.94 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने की इजाजत दी थी, लेकिन उसे 4.26 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदनी पड़ी। आयोग 146 करोड़ रुपये की भरपाई तो कर चुका है लेकिन शेष 296 करोड़ रुपये का घाटा है, जिसके लिए बिजली की दरों में इजाफा करके पूरा किया जाना है।
यूपीसीएल की पिटीशन पर जन सुनवाई हो चुकी है। लोगों की ओर से सुझाव आ चुके हैं। अब आयोग इनके आलोक में अगले 15 दिन के भीतर पिटीशन पर निर्णय लेगा।
-नीरज सती, सचिव, विद्युत नियामक आयोग