देहरादून। संवाददाता। प्रदेश सरकार ने दिव्यांगों को राहत देते हुए सरकारी नौकरी में चार प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। साथ हीए अब दिव्यांगों की एक श्रेणी और बढ़ाते हुए इसे भी आरक्षण के दायरे में शामिल किया गया है। अभी तक प्रदेश में दिव्यांगों को सरकारी सेवाओं में तीन प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था थी। दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण बढ़ने से अब सरकारी सेवाओं में 39 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण हो गया है।
प्रदेश में राज्याधीन सेवाओंए शिक्षण संस्थाओंए सार्वजनिक उद्योगोंए निगमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में दिव्यांगों को आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इसके तहत दिव्यांगों को तीन श्रेणी में बांटते हुए इन्हें एक.एक प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। बीते वर्ष केंद्र सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में सरकारी सेवाओं में दिव्यांगों को आरक्षण दिए जाने के संबंध में नई व्यवस्था लागू की। इसके तहत दिव्यांगजनों को पांच श्रेणी में बांटा गया है।
पहली श्रेणी में अंधता व कम दिखाई देने वालों को शामिल किया गया है। दूसरी श्रेणी में बधिर व कम सुनने वालों को शामिल किया गया है। तीसरी श्रेणी में चलन दिव्यांगताए परा.मस्तिष्क घातए ठीक किया गया कुष्ठ रोगए बौनापनए एसिड अटैक और पेशीय दुर्विकास शामिल है। इस श्रेणी में एसिड अटैक वालों को पहली बार शामिल किया गया है।
चैथी श्रेणी में ऑटिज्मए बौद्धिक दिव्यांगताए सीखने में विशिष्ट दिव्यांगता और मानसिक रोग को शामिल किया गया है। पांचवी श्रेणी में पहली चार श्रेणियों की दिव्यांगता से युक्त बहु दिव्यांगता को शामिल किया गया है। अंध.बधिर भी इसी श्रेणी में शामिल किए गए हैं। पहली तीन श्रेणियों के दिव्यांगों के लिए एक.एक प्रतिशत आरक्षण रखा गया हैए जबकि श्रेणी चार व पांच के लिए एक प्रतिशत आरक्षण रखा गया है। प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी के मुताबिक उत्तराखंड की राज्याधीन सेवाओं दिव्यांगजनों के लिए क्षैतिज आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत करने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर पहले ही प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले दिव्यांगों को सुविधा देनेए बहुमंजिला परीक्षा कक्ष होने पर भू.तल पर ही इन्हें सीट आवंटित करने और परीक्षा केंद्र रेलवे स्टेशन अथवा बस स्टेशन के नजदीक रखने के निर्देश दिए गए हैं।