उत्तराखंड की पारंपरिक शैली में बनेंगे अब सरकारी भवन

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देहरादून :  उत्तराखंड में भवन निर्माण की पारंपरिक शैली अपने आप में अनूठी और अद्भुत है। देहरादून का मुख्यमंत्री आवास और गैरसैण में बन रहा विधान सभा भवन थोडा-बहुत इस शैली में बने हैं। इस के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार बकायदा भवन निर्माण नीति बनाने जा रही है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के निर्देश पर इस नीति को जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा।

उत्तराखंड में भविष्य में बनने वाले नए भवनों मे भवन निर्माण की यह पारंपरिक शैली अपनाने की तैयारी की जा रही है। देश-विदेश में राज्य की नई पहचान और रिवर्स पलायन को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस योजना पर काम करने के निर्देश दिए हैं।

काले पत्थरों की ढालदार छत, लकड़ी के दरवाजों व पिलर पर खूबसूरत नक्काशी और बारादरी, पहाड़ी वास्तुकला के ये भवन अब दिल्ली से लेकर राज्य के भीतर तमाम जगहों पर उत्तराखंड की संस्कृति को नमूदार करेंगे। दिल्ली में ‘उत्तराखंड निवास’ और राज्य के भीतर भविष्य में सरकारी भवनों का निर्माण उत्तराखंड की पारंपरिक शैली में होगा।

भूकंपरोधी और लाइटवेट ये भवन कोटी बनाल आर्किटेक्चर का रूप लिए होंगे। राज्य की संस्कृति को झलकाने के लिए सरकार के इस विशेष प्रयास को बकायदा भवन निर्माण नीति की शक्ल दी जा रही है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के निर्देश पर इस नीति को जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा।

राज्य के बाहर और भीतर सरकार की ओर से बनाए जाने वाले भवनों में उत्तराखंडी संस्कृति और वास्तुकला की छटा बिखरेगी। इसके जरिए पर्यटकों को तो आकर्षित किया ही जाएगा, साथ में प्रवासी उत्तराखंडियों को भी जड़ों की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। इस योजना के जरिये भूकंप के प्रति संवेदनशील उत्तराखंड, खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक भूकंपरोधी तकनीक को ध्यान में रखकर सरकारी भवनों का निर्माण किया जाएगा।

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