देहरादून। समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दोनों धाम के कपाट शनिवार दस अक्टूबर को बंद होने हैं। कपाट बंदी के अवसर पर दो हजार से अधिक श्रद्धालुओं के धाम में मौजूद रहने की संभावना है।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि कपाट बंदी के उत्सव में शामिल होने के लिए यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। गुरुवार को 300 से अधिक श्रद्धालु गोविंदघाट पहुंच चुके थे। हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण मंदिर की फूलों से भव्य सजावट की गई है। विदित हो कि कोरोना संक्रमण के चलते दोनों धाम के कपाट तीन माह के विलंब से गत चार सितंबर को खोले गए थे। तब से अब तक 5500 से अधिक श्रद्धालु यहां दर्शनों को पहुंच चुके हैं।
कपाटबंदी के कार्यक्रम
- कपाट बंद करने की प्रक्रिया के तहत दस अक्टूबर को सुबह पांच बजे पंचवाणी नित नियम, छह से नौ बजे तक आसकी वार्ता का कीर्तन, नौ बजे पहली अरदास, 9.40 बजे मुखवा और दस बजे सुखमणि साहिब का पाठ होगा।
- सुबह दस से दोपहर 12.20 बजे तक सबद-कीर्तन और 12.30 बजे अंतिम अरदास होगी
दोपहर एक बजे हुक्मनामा के बाद मुख्य ग्रंथी मिलाप सिंह व गुरनाम सिंह की अगुआई में पंज प्यारे श्री गुरु ग्रंथ साहिब को शीतकाल के लिए सचखंड में विराजमान करने के लिए ले जाएंगे। इसके बाद धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
ये है हेमकुंड साहिब कि मान्यता
हेमकुंड साहिब में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने पूर्व जन्म में दुष्टदमन के रूप में तपस्या की थी। गुरुवाणी में लिखा गया है कि हिमाच्छादित सात पर्वतों के बीच सरोवर के किनारे गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। हेमकुंड साहिब सरोवर भी है।
लोकपाल लक्ष्मण मंदिर
इस सरोवर के किनारे लोकपाल मंदिर भी है। लक्ष्मण मंदिर को लेकर मान्यता है कि पूर्व जन्म में लक्ष्मण ने यहां पर शेषनाग के रूप में तपस्या की थी।