उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी महापंचायत ने ऑनलाइन पूजा का विरोध किया। महापंचायत ने कहा कि सरकार की तरफ़ से देवस्थानम बोर्ड को खत्म करने की बजाय ऑनलाइन पूजा शुरू करा दी गई है। यह स्थानीय हकहकूकधारियों के अधिकारों पर कुठाराघात है। गौरतलब है कि यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई, गंगोत्री 15 मई, केदारनाथ 17 मई और बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को खुल चुके हैं। ऐसे में प्रदेश और देश में कोरोना ग्राफ के बढ़ते मामलों के बीच उत्तराखंड सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए यात्रा पर रोक लगाई है। वहीं महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल और महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि सीएम ने आश्वासन दिया था कि देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार होगा। महापंचायत की इस बोर्ड को भंग कर पुरानी व्यवस्था बरकरार रखने की मांग थी। दूसरी तरफ़ चारों धामों के कपाट भी खुल चुके हैं। ऐसे में उम्मीद यही थी कि बोर्ड को जल्द समाप्त किया जाएगा। उल्टा सरकार ने ऑनलाइन पूजा शुरू करा दी है। पूजा की ऐवज में मिलने वाला पैसा सरकारी खजाने में जा रहा है। ये हककूकधारियों के अधिकारों पर चोट है। सवाल ये है कि ऑनलाइन पूजा के बाद पूजा कराने वालों को क्या सरकार की तरफ़ से प्रसाद भी भेजा जा रहा है, यदि ऐसा हो रहा है तो क्या यह कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन नहीं है।
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