ऋषिकेश। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के समय भगवान नारायण के अभिषेक को जाने वाला गाडू घड़ा (तेल कलश) अब छह मई को नरेंद्रनगर राजमहल से सीधे चमोली जिले के डिम्मर गांव के लिए रवाना होगा। कोरोना संक्रमण के चलते श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत ने यह फैसला लिया है। पूर्व कार्यक्रम के अनुसार कलश यात्रा को ऋषिकेश में रात्रि विश्राम के बाद आगे बढ़ना था।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि डिमरी पंचायत के पांच प्रतिनिधि चार मई को डिम्मर से नरेंद्रनगर राजमहल पहुंचेंगे। पांच मई को सुबह महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की अगुआई में सुहागिनों द्वारा तिलों का तेल निकालकर पवित्र तेल कलश तैयार करने की रस्म अदा की जाएगी। इस दौरान शारीरिक दूरी के नियमों को विशेष ध्यान रखा जाएगा और सभी लोग मास्क लगाकर रहेंगे।
बताया कि छह मई को तेल कलश नरेंद्रनगर से सीधे डिम्मर गांव स्थित श्री लक्ष्मी-नारायण मंदिर पहुंचेगा। 11 मई तक वहां तेल कलश की पूजा-अर्चना होगी। 12 मई को कलश यात्रा नृसिंह मंदिर जोशीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। 13 मई को तेल कलश यात्रा आदि शंकराचार्य की गद्दी के साथ पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पहुंचेगी। 14 मई को कलश व शंकराचार्य गद्दी के साथ भगवान नारायण के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी की डोलियां भी बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करेंगी।
15 मई को ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे।
नांदेड़ (महाराष्ट्र) से लौटने के बाद ऊखीमठ में क्वारंटाइन रहे रावल भीमाशंकर लिंग रविवार देर शाम केदारनाथ पहुंच गए। सोमवार को उनका मंदिर में विश्व कल्याण के लिए बाबा केदार की विशेष पूजा-अर्चना करने का कार्यक्रम है। रावल भीमा शंकर लिंग 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के मौके पर उपस्थित नहीं हो पाए थे। वह अपने तीन सेवादार और दो चालकों के साथ 19 अप्रैल को नांदेड़ से ऊखीमठ लौटे थे। इसके बाद प्रशासन ने सभी को 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर दिया था। साथ ही, उनका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा था।
रविवार को उनका क्वारंटाइन खत्म हुआ और सुबह पांच बजे वह अपने दो सेवादारों के साथ ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ के लिए रवाना हुए। भीमाशंकर लिंग वर्ष 2001 से केदारपीठ में रावल की गद्दी पर विराजमान हैं और इस अवधि में हमेशा कपाट खुलने के मौके पर उपस्थित होते रहे हैं। विदित हो कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर रावल की कोई भूमिका नहीं होती। मुख्य पुजारी ही मंदिर में समस्त औपचारिकता व पूजाएं संपन्न कराते हैं।
पांच को बदरीनाथ के लिए रवाना होगा तेल कलश
नरेंद्रनगर राजमहल से पांच मई को निकलने वाली गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार कलश यात्रा सादगी से निकाली जाएगी। इसमें डिमरी केंद्रीय धार्मिक पंचायत के चार प्रतिनिधि शामिल होंगे। तेल कलश पांच मई की शाम ऋषिकेश और छह मई को चमोली जिले के डिम्मर गांव स्थित लक्ष्मी-नारायण मंदिर पहुंचेगा। यहां से 12 मई को उसे जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर ले जाया जाएगा। 13 मई को नृसिंह मंदिर से कलश यात्रा के साथ आदि शंकराचार्य की गद्दी भी योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी। 14 मई गद्दी व तेल कलश यात्रा भगवान नारायण के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी की डोली के साथ बदरीनाथ धाम पहुंचेगी। 15 मई को ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे।