नब्बे के दशक से कर रहे राम मंदिर के निर्माण के लिए संघर्ष हरिद्वार के संजय और राजेश सैनी

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हरिद्वार ।  नब्बे के दशक से ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वाले हरिद्वार के मिस्सरपुर निवासी संजय सैनी और राजेश सैनी आज इस बात से खुश हैं कि आखिर वह दिन आ ही गया जब मंदिर निर्माण का शिलान्यास हो रहा है।

रामभक्तों के बलिदान को याद करके दोनों के आंखें नम हो जाती हैं। इन लोगों का कहना है कि अनगिनत रामभक्तों के बलिदान के बदौलत ही मंदिर बनाने का संकल्प पूरा होने जा रहा है। अक्तूबर 1990 में श्री राम जन्म भूमि आंदोलन में जेल जाने वाले कार सेवक संजय सैनी और राजेश सैनी को यातनाओं के दिन आज भी याद हैं।

संजय सैनी उस समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शाखा के मुख्य शिक्षक थे। राम मंदिर के शिला पूजन से लेकर राम ज्योति कार्यक्रम में उन्होंने बढ़कर हिस्सा लिया। 25 सितंबर, 1990 को गुजरात के सोमनाथ से लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा शुरू होने के बाद देश का माहौल बदल गया था। रथयात्रा को 30 अक्तूबर को अयोध्या पहुंचना था। बिहार में रथयात्रा रोकने और आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद रामभक्तों बेहद आक्रोश था।

सगे संबंधियों ने कैरियर खराब होने का डर दिखाया
संजय बताते हैं कि केवल उनके पिता ने अयोध्या जाने के लिए प्रेरित किया। सगे संबंधियों ने कैरियर खराब होने का डर दिखाया। सब कुछ भगवान राम पर छोड़कर साथी राजेश सैनी समेत काफी संख्या में युवक अयोध्या जाने को राजी हो गए।

24 अक्तूबर 1990 को कनखल झंडा चैक से रामभक्त अयोध्या के लिए निकल पड़े थे। हरकी पौड़ी से अपर रोड होते हुए जब लालतारौ पुल पहुंचे तो पहले से तैयार पुलिस ने रामभक्तों को लाठीचार्ज कर तितर बितर कर दिया।  हम दोनों के साथ कनखल के दो समाजसेवियों को भी गिरफ्तार कर लिया।

देर रात रुड़की जेल भेज दिया गया। संजय बताते है कि उस समय उनकी उम्र 20 साल थी। राजेश की तो तबीयत बिगड़ गई। खैर पांच नवंबर 1990 को उनकी रिहाई हुई। संजय और राजेश का कहना है कि इतने बरस बाद राम मंदिर के भूमि पूजन की खुशी है। 

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