पौड़ी। उत्तराखंड राज्य का पौड़ी शहर शीर्ष में स्थित है कंडोलिया मंदिर। मान्यता है कि वर्षों पूर्व कुमांऊ की एक युवत का विवाह पौड़ी गांव में डुंगरियाल नेगी जाति से हुआ था। विवाह के बाद वह युवती अपने ईष्ट देवता को कंडी (छोटी टोकरी) में रखकर लाई थी। इसके बाद देवता को कंडोलिया देवता के नाम से जाना जाने लगा और उनकी पूजा पौड़ी गांव में भी शुरू कर दी गई।
यह है मान्यता
मान्यता है कि बाद में देवता गांव के ही एक व्यक्ति के स्वप्न में आए और आदेशित किया कि मेरा स्थान किसी उच्च स्थान पर बनाया जाए। इसके बाद कंडोलिया देवता को पौड़ी शहर के ऊपर स्थित एक पहाड़ी पर स्थापित किया गया। स्थापना के बाद से ही कंडोलिया मंदिर न्याय देवता के रूप में प्रसिद्व हो गए। कंडोलिया देवता मूल रूप से भगवान शिव के ही स्वरूप् हैं। स्थानीय लोग साल भर समय-समय पर मंदिर में पूजा अर्चना को पहुंचते हैं। मान्यता यह भी है कि कंडोलिया देवता किसी भी पूर्व नुकसान या संकट की सूचना या चेतावनी दे देते हैं।
मंदिर के हर तरफ हरे भरे पेड़ यहां के मौसम को हमेशा खुशनुमा बनाए रहते हैं। यूं तो बाबा कंडोलिया के मंदिर में श्रद्वालुगण वर्ष भर पूजा अर्चना को आते रहते हैं, लेकिन हर वर्ष जून माह में आयोजित होने वाला तीन दिवसीय पूजा अर्चना और समापन पर लगने वाले विशाल भंडारे का अपना अलग ही महत्व हैं। इसमें स्थानीय ही नहीं दूसरे क्षेत्रों से भी हजारों की तादाद में श्रद्वालु पूजा अर्चना और भंडारे में शामिल होते हैं। यह प्रत्येक साल का मंदिर में होने वाला सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होता है।
पौड़ी बस स्टेशन से महज दो किमी की दूरी पर स्थित है मंदिर
कंडोलिय मंदिर पौड़ी बस स्टेशन से महज दो किमी की दूरी पर शहर के शीर्ष में स्थित हैं। यहां से दूर हिमालय की बर्फीली चोटियां काफी आकर्षण रहती हैं। इसके अलावा यहां सड़क मार्ग पर ही एक पार्क भी है। मंदिर तक पहुंचने के लिए समीपवर्ती रेलवे स्टेशन कोटद्वार व ऋषिकेश हैं। यहां से छोटे या बड़े दोनों ही प्रकार के वाहनों से कंडोलिया पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से करीब दो सौ मीटर की पैदल दूरी तय कर आसानी से कंडोलिया मंदिर पहुंचा जा सकता है।
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