कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। महाराज ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट दी। मंगलवार को मुख्यमंत्री रिपोर्ट पर निर्णय ले सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि उप समिति ने देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग करने की सिफारिश की है। फिलहाल इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के संबंध में वरिष्ठ भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था। पिछले दिनों कमेटी ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपी। मुख्यमंत्री पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया। उपसमिति में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और स्वामी यतीश्वरानंद को सदस्य बनाया। उपसमिति ने भी अब अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। मंगलवार को रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री का निर्णय आने की संभावना है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार रिपोर्ट के आधार पर देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग कर सकती है। हालांकि इस संबंध में कमेटी का कोई सदस्य पत्ते नहीं खोल रहा है।
मंत्रिमंडलीय उपसमिति के सदस्य स्वामी यतीश्वरानंद से जब देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इतना ही कहा कि सब अच्छा होगा। इससे ज्यादा उन्होंने भी कोई संकेत नहीं दिए।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सरकार बनने पर उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग करने का एलान कर चुकी है। कांग्रेस के इस एलान से सत्तारुढ़ भाजपा सियासी दबाव में है। विधान सभा चुनाव से ठीक पहले वह पार्टी की विचारधारा से मेल खाने वाले पुजारियों व साधु-संत समाज को नाराज भी नहीं करना चाहती है। हालांकि सरकार में बैठे कई लोग चारों धामों की बेहतर व्यवस्था के लिए देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को सही मानते हैं। लेकिन कृषि कानून की तरह सरकार सियासी मोर्चे पर देवस्थानम बोर्ड पर भी दबाव में है।
त्रिवेंद्र नहीं झुके, तीरथ ने वादा किया, धामी ने कदम बढ़ाया
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक 27 नवंबर 2019 को अस्तित्व में आया। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बगैर दबाव में आए इस अधिनियम को लागू कर देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया। तीर्थ पुरोहित बोर्ड के विरोध में लगातार आंदोलन करते रहे। इस बीच त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद तीरथ सिंह रावत के हाथों में सत्ता की बागडोर आई। तीरथ ने पंडा तीर्थ पुरोहित समाज को आश्वस्त किया। वह भी मुख्यमंत्री पद से हट गए। उनके बाद पुष्कर सिंह धामी के हाथों में सत्ता की कमान आई। धामी ने हाईपावर कमेटी बनाई। अब कमेटी की रिपोर्ट पर नतीजे का इंतजार है।