रामजन्म भूमि आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका, विवादों से जुड़े 17 संतों को अखाड़ा परिषद से किया था बाहर

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने रामजन्म भूमि आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। उनकी अध्यक्षता में विवादों से जुड़े 17 संतों को अखाड़ा परिषद ने बहिष्कृत किया गया था। सनातन मूल्यों एवं अखाड़ों के सिद्धांतों के प्रति वह वचनबद्ध थे। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष ज्ञानदास के कार्यकाल के बाद श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की अध्यक्ष पद पर ताजपोई हुई थी।

महंत नरेंद्र गिरि के असमय निधन से संतों में शोक की लहर है। हरिद्वार से उनका गहरा रिश्ता रहा है। कुंभ 2021 के सकुशल संचालन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उनके निधन का समाचार मिलते ही धर्मनगरी में शोक की लहर दौड़ गई है। राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि और श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी समेत कई संत प्रयागराज के लिए रवाना हो गए।

श्रीमहंत नरेंद्र गिरि हर महीने हरिद्वार स्थित अपने निरंजनी अखाड़ा आते थे। यहां का समस्त संत समाज उनके जाने से बेहद दु:खी है। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के निधन पर गहरा दु:ख जताया। उनकी मृत्यु के कारणों की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि नरेंद्र गिरि जैसा संत आत्महत्या नहीं कर सकता।

महंत नरेंद्र गिरि के निधन का समाचार मिलते ही अखाड़ा परिषद महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि जूनागढ़ से प्रयागराज रवाना हो गए हैं। उन्होंने इस घटना को हृदयविदारक बताते हुए कहा कि संत जगत उनके कार्यों के प्रति सदा ऋणी रहेगा।

श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी भी प्रयागराज के लिए रवाना हो गए। श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के कारणों की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या करेंगे। उनके साथ क्या घटना घटी, इसकी जांच होनी चाहिए। आचार्य ने नरेंद्र गिरि के साथ अपने संबंधों को याद किया।

सनातन संस्कृति एवं भारतीय जीवन मूल्यों के संरक्षणार्थ अहर्निश प्रयत्नशील, धर्म-अध्यात्म एवं भगवद्भक्ति का उपदेश प्रदान कर भारतीय जनमानस के श्रेष्ठ मार्गदर्शक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के आकस्मिक गोलोक गमन से संत परंपरा में अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने तप, साधना, सेवा और लोक कल्याणकारी कार्यों के माध्यम से समाज को एक नई चेतना प्रदान की।
– ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर

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