ऋषिकेश। लाखों लोगों की आस्था के केंद्र पौराणिक श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में इस साल श्रवण मास में श्रद्धालु जलाभिषेक और दर्शन नहीं कर पाए। मंदिर समिति ने श्रवण मास में आम श्रद्धालुओं के लिए नीलकंठ महादेव मंदिर को बंद रखने का फैसला लिया है।
मणिकूट पर्वत की तलहटी में मधमति और पंकजा नदी के संगम पर प्राचीन श्री नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। पौराणिक काल से इस मंदिर के लिए धार्मिक आस्था रही है। मान्यता है कि समुद्र मंथन में निकले विष को पीने के बाद उस विष की उष्णा को शांत करने के लिए भगवान शिव ने यहां पर हजारों वर्ष तक तपस्या की थी। श्रवण मास में नीलकंठ महादेव मंदिर में दर्शन और जलाभिषेक का बड़ा महत्व है।
यही वजह है कि उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पर इस वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण के चलते नीलकंठ मंदिर को बंद रखने का फैसला लिया गया है। श्री नीलकंठ महादेव मंदिर समिति व व्यापार मंडल नीलकंठ ने आपसी सहमति के बाद मंदिर और नीलकंठ के बाजार को बंद करने निर्णय लिया। नीलकंठ मंदिर समिति के सचिव धन सिंह राणा ने बताया कि मंदिर समिति ने इस संबंध में प्रशासन को भी अवगत करा दिया था।
नीलकंठ को जाने वाले सभी रास्ते सील
श्रवण मास की कांवड़ यात्रा को इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते बंद कर दिया गया है। कांवड़ यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु नीलकंठ महादेव मंदिर में भी जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए और नीलकंठ महादेव मंदिर के बंद होने के बाद प्रशासन ने नीलकंठ जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया। थानाध्यक्ष लक्ष्मणझूला राकेंद्र कठैत ने बताया कि नीलकंठ जाने वाले मुख्य मार्ग को गरुड़चट्टी में सील कर दिया गया है।
वहीं, पैदल मार्ग को बैराज और बाघखाला में सील है। यहां पुलिस बल भी तैनात है। वहीं, पुलिस क्षेत्रधिकारी ऋषिकेश बीएस धोनी ने बताया कि इस वर्ष कांवड़ यात्रा को बंद किया गया है, जिसे देखते हुए जनपद के बॉर्डर पर अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गई है। उन्होंने बताया कि यदि इसके बाद भी कोई कांवड़ यात्री जल भरने के लिए यहां आता है तो उसे क्वारंटाइन करने के साथ ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।