सरकार की आधी अधूरी तैयारियां बनी चारधाम यात्रियों के लिए सरदर्द

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चारधाम यात्रा एक बार फिर उन लोगों के लिए सरदर्द बन चुकी हैं जो देश के अलग अलग राज्यों से दर्शन करने आ रहे हैं और यहां पहुंच कर उनको दर्शन करने को भी नही मिल रहे।
18 सितम्बर से शुरू चारधाम यात्रा को लेकर प्रदेश सरकार की तैयारियों और नियमों और बाध्यताओं के प्रचार-प्रसार पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। चारधाम यात्रा पर आए बुजुर्ग यात्री अब हाथ जोडकर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से फरियाद कर रहे हैं कि उन्हें धामों के दर्शन करने दिए जाएं। वह तीन चार दिनों से कई किमी की दूरी तय कर भी परेशान हैं। कहीं खाने ने लिए नहीं मिल रहा, तो कहीं सोने की जगह नहीं हैं।
जिन लोगों को धाम में दर्शन नही करने दिए गए उन
तीर्थयात्रियों ने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उत्तराखंड सरकार नहीं जागती है, तो भविष्य में कोई भी चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड नहीं आएगा।
विभिन्न प्रदेशों से चारों धाम के दर्शन के लिए पहुंच रहे है। जहां पर प्रशासन की और से बिना ई पास और देवास्थानम बोर्ड पास न होने के कारण यात्रियों को आगे नहीं जाने दिया गया। जिससे यात्रियों ने हंगामा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वह कई दिनों से परेशान हैं। उत्तराखंड सरकार के नियमों की कहीं पर भी सही जानकारी नहीं दी है और अगर ई पास बनाने जायँ तो तो देवस्थानम बोर्ड की साइट का स्लॉट देखो तो वह फूल नजर आ रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि पहले तो रास्ते मे दिन काट रहे है, तो देर रात भी अपनी गाड़ियों में ही सोना पड़ा रहा है।
स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए पुलिस  तीर्थ यात्रियों को समझाने की कोशिश करती रहती है तो वहीं यात्री उनसे  धाम के दर्शन के लिए फरियाद कर रहे हैं,ये नजारा चारों धामों में देखने को मिल रहा है ।
हालात न बिगड़ें इसके लिए पुलिस बल की संख्या बढ़ा दी गई है।
प्रशासन का कहना है कि नियमों के अनुसार जिनके पास ई पास और देवास्थानम बोर्ड पास है। उन्हें ही धाम के दर्शन के लिए भेजा जा रहा है। रोके गए यात्रियों के पास ई पास नहीं है। जिसके बारे में यात्रियों को भी बताया जा रहा है। धाम में सीमित सँख्या में  यात्रियों की जाने की अनुमति है।
लगातार चारों धामो में यही हालात हैं और यात्री इतना तक कहने लगे हैं कि अगर ऐसा ही हा तो वो दोबारा यहां नही आएंगे।लगातार यात्रियों की मांग और होती परेशानी को देखकर उत्तराखण्ड सरकार अब यात्रियों की सँख्या बढाने के लिए फिर से कोर्ट जाने का मन बना रही है।
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों की ओर से चारधाम यात्रा के लिए स्थानीय लोगों के पंजीकरण की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की गई थी।
प्रदेश में चारधाम यात्रा 18 सितंबर को शुरू हुई थी, रविवार तक 17552 तीर्थयात्री चारों धामों के दर्शन कर चुके हैं। 15 अक्तूबर तक चारों धामों में इस संख्या के आधार पर पंजीकरण फुल हो चुके हैं। इसी समस्या से पार पाने के लिए अब सरकार ने फिर हाईकोर्ट जाने का मन बना लिया है। सरकार कोर्ट से आग्रह करेगी कि तीर्थयात्रियों का रुझान और उनकी समस्याओं को देखते हुए प्रतिदिन के लिए तय अधिकतम संख्या को बढ़ा दिया जाए।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि
चारों धामों में सीमित संख्या होने से कई तीर्थ यात्री बिना दर्शन के वापस लौट रहे हैं। यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए कोर्ट से आग्रह किया जाएगा। इसके लिए जल्द याचिका दायर की जाएगी।

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