ऐसे करें गणेश जी की पूजा
- गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें।
- साथ में कलश भी स्थापित करें।
- लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मूर्ति की स्थापना करें।
- ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा मन्त्र का जाप करें।
- दिन भर जलीय आहार ग्रहण करें या केवल फलाहार करें।
- शाम के समय गणेश जी की यथा शक्ति पूजा-उपासना करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं।
- साथ ही गणपति को अपनी उम्र की संख्या के बराबर लड्डुओं का भोग लगाएं व साथ उन्हें दूब भी अर्पित करें।
- फिर अपनी इच्छा के अनुसार गणपति के मन्त्रों का जाप करें।
देहरादून(संवाददाता): गणेश चतुर्थी पर दोपहर से घरों में मेहमान बनकर अगले दस दिनों तक भगवान गणेश विराजमान होंगे। इसके साथ ही गणेश महोत्सव का शुभ आरंभ हो गया है। दोपहर 12 बजे शुभ मुहूर्त के साथ ही घरों, मंदिर, सार्वजनिक स्थलों पर गणपति की प्रतिमाओं को विधि विधान के साथ स्थापित किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन प्रथम पूज्य गणेश का प्राकट्य हुआ था। मान्यता ये भी है कि इस दिन भगवान गणेश धरती पर आकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा की अवधि अनंत चतुर्दशी तक चलती है। इस दौरान गणपति धरती पर ही निवास करते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 25 अगस्त से 05 सितम्बर तक मनाया जायेगा। हर साल विघ्नहर्ता आते हैं और भक्तों के साथ रहकर उनके सुख-दुख का हिस्सा बनते हैं। माना जाता है की इस दौरान गणपति अपने भक्तों के सभी दुख और परेशानियों का अंत कर देते हैं, लेकिन इसके लिए गणपति को प्रसन्न करना जरूरी है।