मेले में यहाँ जन आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है. इस बार भी हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने अपने अराध्य चौमू बाबा के दर्शन किए और पूजा अर्चना की. दिन में ढोल नगाड़ों के साथ परंपरागत तरीके से भगवान चौमू देवता का डोला जैसे ही मुख्य मंदिर परिसर में पहुंचा, पूरी घाटी चौमु देवता की जयकारे से गूंज उठी.
पिथोरागढ़ (संवाददाता) : समृद्ध लोक संस्कृति व लोक परम्परा के धनी पिथोरागढ़ क्षेत्र मेलों के आयोजन के लिए लम्बे समय से जाना जाता हैं. पिथोरागढ़ के आस-पास ध्वज, थलकेदार, मोस्टामाणु के बाद चौपखिया मेले का विशेष महत्व है. मेले में यहाँ जनआस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है. इस बार भी हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने अपने अराध्य चौमू बाबा के दर्शन किए और पूजा अर्चना की. दिन में ढोल नगाड़ों के साथ परंपरागत तरीके से भगवान चौमू देवता का डोला जैसे ही मुख्य मंदिर परिसर में पहुंचा, पूरी घाटी चौमु देवता की जयकारे से गूंज उठी.
बीते रोज रामनवमी के अवसर पर सुबह से ही चौपखिया में बड़ी संख्या में लोग भगवान चौमू देवता के दर्शनों के लिए पहुंचने लगे थे. दिन में 1 बजे तल्ली रियांसी के देव खली से भगवान चौमू देवता का डोला निकाला गया. भगवान चौमू देवता का डोला ढ़ोल नगाड़ों के साथ देव डांगर के साथ एक घंटे से अधिक तक क्षेत्र की परिक्रमा के बाद मुख्य मंदिर जैसे ही पहुंचा, पूरा क्षेत्र बाबा चौमू देवता की जयकार से गूंजा उठा. घंटों से अपने अराध्य के दर्शन के लिए इंतजार कर रहे भक्तों को भगवान चौमू देवता ने निराश नहीं किया. भगवान ने सभी को समृद्धि का आशीष दिया. मंदिर में पूरे दिन पूजा अर्चना करने वाले लोगों की भी भारी भीड़ जुटी रही. मंदिर में लोगों की भारी भीड़ के कारण लोगों को पूजा अर्चना के लिए भी लंबी इंतजारी करनी पड़ी.
चौपखिया मेले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. पूरे दिन पुलिस कर्मी मेले में सतर्कता के साथ जुटे रहे. हुड़कना से आगे ही यातायात पुलिस तैनात रही. मेले स्थल में भारी भीड़ के कारण कई बार यातायात व्यवस्था पटरी से उतरी. इसके बाद भी निजी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से चलती रही.