- लालच में धर्म परिवर्तन करने वाले देशद्रोही हैं।
- प्राचीन काल से साधु समाज के बल पर ही भारत विश्व गुरु कहलाया है।
- भारत के साधुओं में ही वो ताकत है कि भारत को पुनः विश्व गुरु बना सकते है।
- साधु समाज को धर्म, संस्कृति, अध्यात्म, योग, आयुर्वद के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए भी पहल करनी चाहिए।
हरिद्वार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण समन्वय विभाग के तत्वाधान में आयोजित साधु स्वाध्याय संगम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने का कि प्राचीन काल से साधु समाज के बल पर ही भारत विश्व गुरु कहलाया है। भारत के साधुओं में ही वो ताकत है कि भारत को पुनः विश्व गुरु बना सकते है। साधु समाज को धर्म, संस्कृति, अध्यात्म, योग, आयुर्वद के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए भी पहल करनी चाहिए।
पतंजलि योगपीठ में आयोजित साधु स्वाध्याय संगम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने का कि हिंदू धर्म के अनादि काल से पर्यावरण को पूजा जाता रहा है। परंतु ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज पर्यावरण खतरे में हैं। उस पर्यावरण की रक्षा अपने देश का साधु संत कर सकता है। हमने प्रकृति को मां माना है, हमने तुलसी, वट वृक्ष और पीपल को पूजा है। हम संस्कृति को बचाने का काम करते हैं। जल को हम जीवन के रूप में देखते हैं। लिहाजा इन सबके संरक्षण की जरूरत है। उन्होंने गाय, गंगा और पेड, पौधों को संरक्षित करने की आवश्यकता जताई। यह हमारा विष्य है हमारी जो संतति है उसका भी भविष्य है। उस संतति को आगे लेकर चलना और उस संतति के लिए वर्तमान में चिंतित रहना उस चिंतित विषय को चिंता में बदलना समाज के अंदर इस चिंता का जन जागरण स्थापित करना यह हम सबका मुख्य कार्य हो जाता है।
भागवत ने कहा कि भारत देश के अंदर अभी तक संतों का सम्मान सर्वोपरि है संत जगत में उस सम्मान के लिए अपने आप को उसके अनुकूल बनाना और समाज को त्याग समर्पण की भावना की प्रेरणा देना यह हमारा आज के समय की महती आवश्यकता है। इस मौके पर बोलते हुए कहा कि जो लोग हिन्दू धर्म छोड.कर ईसाई धर्म अपना रहे है। वो देश द्रोही बन रहे हैं। लोग सोचते हैं कि इसाई बनने से हमे पैसा और रोजगार मिलेगा। लेकिन अच्छे संस्कार नही मिलेंगे। हिन्दू धर्म हमे संस्कार सिखाता है। कई लोग अपनी इच्छा अनुसार घर वापसी कर रहे हैं। हिन्दू धर्म में इतने वेद पुराण की बातों को थोपा नहीं जाता है। हिन्दू धर्म के लोग स्वयं ही अपने पुराण एंव वेदों को मानते हैं।
समापन सत्र में धर्म परिवर्तन के प्रकल्पों के बारे में भी वक्ताओं ने विचार रखे और कहा कि किसी कारणों से हमारे जो लोग दूसरे धर्म की ओर चले गए हैं, उन्हें वापस लाना है। धर्म जागरण विभाग के प्रभारी गोविंद देव गिरि ने साधु स्वाध्याय संगम के एजेंडे की जानकारी दी। कार्यक्रम में 179 संत, 145 महिला संत और 34 प्रांतों से 2 मत पंथ संप्रदाय के संत उपस्थित रहे। इस मौके पर धर्म जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक शरद डोले, संघ के विभाग प्रचारक शरद कुमार, रामप्रकाश, नरसिंह, थावरगिरि, गंगानाथ, श्रीनिवास, आनंदपुरी, कांतिलाल व्यास आदि शामिल थे।