कांग्रेस हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों में जड़ें मजबूत करने की कोशिशों में जुटी है। दोनों जिलों में विधानसभा की 20 सीट हैं। इन्हें हासिल करने के लिए पार्टी बसपा एवं अन्य दलों के नेताओं को अपने पाले में खींचने में दम लगा रही है। बसपा के कई नेता कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। इनके आने से कांग्रेस को कई विधानसभा क्षेत्रों में ताकत बढ़ने की उम्मीद है।
हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में बसपा के मौजूदा या कभी बसपा में रह चुके नेताओं को कांग्रेस में लाने का रणनीतिक उद्देश्य बड़ा साफ है। बसपा की इन जिलों में मजबूत उपस्थिति रही है। दोनों ही जिलों से बसपा विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुकी है। हरिद्वार में यह प्रतिनिधित्व ज्यादा रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों ही जिलों में बसपा कमजोर पड़ी है। अगले विधानसभा चुनाव के महासमर के लिए कांग्रेस की नजरें विधानसभा क्षेत्रों में पकड़ रखने वाले बसपा नेताओं पर टिकी हैं। चुनावी जीत के लिए क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ऐसे नेताओं को कांग्रेस में शामिल कराने की होड़ तेज हो चुकी है।
बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी सिंह अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इसी तरह हरिद्वार में बसपा नेता मुकर्रम अंसारी को भी कांग्रेस के पाले में खड़ा किया जा चुका है। मुर्करम पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने बसपा के टिकट पर हरिद्वार ग्रामीण सीट से खम ठोक चुके हैं। मुकर्रम के आने से हरिद्वार सीट पर कांग्रेस को मजबूती मिली है। इससे पहले भाजपा के हरिद्वार जिला पंचायत के निवर्तमान अध्यक्ष सुभाष वर्मा भी कांग्रेस में आ चुके हैं। बसपा के साथ ही अन्य छोटे दलों के जनता के बीच पैठ रखने वाले नेताओं को कांग्रेस में शामिल कराया जा रहा है।