जमाती रोग के साथ आर्थिक बरबादी भी लाये हैं, बस्ती हुई सील तो नदी में दूध बहाने को विबस गुर्जर

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  • यहां 15 सौ से ज्यादा दुधारू पशुओं से प्रतिदिन सौ लीटर दूध उत्पादन होता है।
  • उसे मजबूरन फेंकना पड़ रहा है।
  • तब्लीगी जमात ने इन्हें कोरोना जैसी बीमारी के साथ ही आर्थिक चोट भी पहुंचाई है।
  • दुग्ध व्यवसाय इनका प्रमुख धंधा है।
  • जमातियों के चक्कर में सब ठप्प।

लालढांग(हरिद्वार) : गैंड़ीखाता स्थित गुर्जर बस्ती सील होने से वन गुर्जर दूध नालों-नदियों में बहा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते पूरी बस्ती को क्वारंटाइन करने के बाद गुर्जरों के घर से निकलने पर पाबंदी लगी है, जिस कारण गुर्जर दूध बेचने बाहर नहीं जा पा रहे और दूध फेंकने पर मजबूर हो रहे हैं। तब्लीगी जमात ने इन्हें कोरोना जैसी बीमारी के साथ ही आर्थिक चोट भी पहुंचाई है. दुग्ध व्यवसाय इनका प्रमुख धंधा है. जमातियों के चक्कर में सब ठप्प.

दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात में शामिल होने वाले गुर्जरों ने कोरोना के मरीजों की हरिद्वार में संख्या बढ़ा दी थी। इसके बाद गुर्जर बस्ती के एक सौ दस गुर्जरों को कलीयर में क्वारंटाइन कर दिया गया था।

जिला प्रशासन ने पूरी गुर्जर बस्ती को क्वारंटाइन करने के बाद उसे सील कर दिया था। साथ ही गुर्जरों के दूध सप्लाई करने पर भी रोक लगा दी थी। इससे परेशान गुर्जर अब दूध को नदियों में बहाने पर मजबूर हो चुके हैं।

गुर्जरों का कहना है कि यहां 15 सौ से ज्यादा दुधारू पशुओं से प्रतिदिन सौ लीटर दूध उत्पादन होता है, अगर उसे बेचा नहीं जाएगा तो मजबूरन हमें फेंकने पड़ रहा है। वन गुर्जर कई बार दूध की सप्लाई सुचारू करने की मांग कर चुके हैं। लेकिन, फिलहाल जिला प्रशासन ने सप्लाई करने की इजाजत नहीं दी है।

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