रूड़की। संवाददाता। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे स्लोगन अक्सर आपने हुक्मरानों से सुने होंगे। इसके साथ ही केंद्र व राज्य सरकार बेटियों की सुरक्षा व उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हक़ीक़त कुछ और ही है। बेटियों की सुरक्षा के लिए यूं तो बड़े बड़े दावे होते है लेकिन इन दावों की हक़ीक़त जाननी हो तो रुड़की के मंगलौंर क़स्बे में देखी जा सकती है।
कन्या पाठशाला में लगभग दो हजार छात्राएं शिक्षा लेने के लिए आती हैं। लेकिन सड़कों व स्कूल गेट के बाहर खड़े मनचलों की हरकतों से छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार मनचले युवक स्कूल में पढ़ाने आ रही शिक्षिकाओं को भी फब्तियां कसने से बाज नहीं आते। वहीं मनचलों की हरकतों से परेशान होकर स्कूल की प्रधानाचार्य कई बार पुलिस से शिकायत कर चुकी हैं। लेकिन अभी तक इन मनचलों पर पुलिस द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। हालांकि स्थानीय पुलिस द्वारा स्कूल खुलने और छुट्टि होने के समय पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। लेकिन शायद मनचलों के लिए ये काफ़ी नही है। उधर मनचलों की हरकतों से परेशान कई छात्राएं स्कूल आने से भी डरती है। ऐसे में सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सपना कैसे पूरा होगा ये चिंता का विषय है।